मध्यप्रदेश के हाई प्रोफाइल ‘हनी ट्रेप’ मामले में जांच कर रही एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) के मुखिया को तीसरी बार बदल दिया गया। नौ दिनों में तीन बार एसआईटी का मुखिया बदलने का फैसला ये साफ बताता है कि इस मामले में दाल में कुछ काला नही बल्कि पूरी की पूरी दाल ही काली है। प्रदेश में ये चर्चा चल रही है कि लगभग हर बड़ा अधिकारी और राजनेता इस मोहजाल में उलझा हुआ है।
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एसआईटी के मुखिया को बदलने के पीछे भी यही बात सामने आ रही है कि हर अधिकारी, नेता अपने करीबी अफसर को एसआईटी का मुखिया बनाना चाहता है। जिससे वो कम से कम अपनी इज़्ज़त तो बचा ही लें। अफसरों की इसी रस्साकस्सी में एसआईटी के प्रमुख को बार-बार बदला जा रहा है। इस कवायद से ये संदेह भी पुख्ता होता जा रहा है की ऐसे माहौल में क्या वाकई एसआईटी अपना काम ईमानदारी और बिना दबाव के कर पायेगी?
एक थ्योरी के मुताबिक हनीट्रेप के शिकार इतने बड़े अधिकारी और नेता हुए है जो अपने नाम को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकतें है। ये लोग शक्तिशाली है, रसूखदार है और पैसे वाले है। कहा ये भी जा रहा है बड़े अधिकारी जो हनी ट्रेप मामले में उलझकर ये समझ नही पा रहे थे कि इससे कैसे बाहर निकलें? उन्ही अधिकारियों ने इंजीनियर हरभजनसिंह को इन महिलाओं की शिकायत करने के लिए उकसाया जिससे वो महिला को हिरासत में ले सकें और सारे वीडियो डिलीट कर सकें।
लेकिन महिलाएं भी कम शातिर नही थी। उन्होंने नेता, अधिकारियों के खिलाफ उम्मीद से ज्यादा सबूत जुटा रखे थे। यहां तक कि अपने शिकार के सर्विलांस के लिए बंगलोर की एक कंपनी को ठेका भी दे रखा था। महिलाओं की मंशा शिकार को ब्लैकमेल करके पैसा कमाने के साथ ही नेताओं के ये वीडियो विरोधी दलों को करोड़ो में बेचने की भी थी। लेकिन मामला तब बिगड़ा जब कीमत ज्यादा होने की वजह से ये ‘डील’ कामयाब नही हो सकी।
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सामने सिर्फ इतना आ रहा है की बड़े अधिकारियों के अलावा कई विधायक, मंत्री और पूर्व मंत्री इस हनीट्रेप में फंस चुकें है। ये मामला उम्मीद से कहीं ज्यादा हाईप्रोफाइल और पेचीदा है। ईमानदारी से इसकी जांच हो जाये और सभी नाम सामने आ जाएं तो बीसियों नेता, अफसर जनता के सामने मुह दिखाने लायक नही बचेंगे। नेताओं के साथ ही उनकी पार्टी के राजनीतिक रसूख पर भी धब्बा लग जायेगा। सार्वजनिक जीवन मे शुचिता का ढोंग करने वालो का सारा “कच्चा चिट्ठा” आरती, श्वेता जैसी महिलाओं के लेपटॉप की हार्डडिस्क में दबा हुआ है।
जनता यही चाहती है कि हनी ट्रेप के सभी आरोपियों के साथ ही उन सारे “भंवरो” के नाम भी सार्वजनिक हो जो ‘शहद’ की तलाश में भटकते रहतें है। जनता को ये पता तो चले कि हमारे नेता, अधिकारी जनता के अलावा और किसकी ‘सेवा’ में लगें रहतें है? केंद्र सरकार या फिर सुप्रीम कोर्ट को इस मामले का संज्ञान लेकर जांच की कमान अपने हाथों में ले लेना चाहिये। मध्यप्रदेश की सरकार से इस मामले में निष्पक्ष जांच की कोई उम्मीद नही रह गयी है। इनके लिए सिर्फ यही कह सकतें है-:
“आंखे होते हुए भी अंधे है, इस हमाम में हम सभी नंगे है..”
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– सचिन पौराणिक
