अक्सर मैं हैरान होता हूं यह देखकर कि जब भी गूगल पर कोई चीज़ सर्च करता हूं तो उसी का विज्ञापन फ़ेसबुक पर क्यों दिखने लगता है? दीवाली पर वाशिंग मशीन खरीदने के लिए कई बार तमाम मशीनें गूगल पर खोजी थी। इसके बाद अगले कई दिनों तक जब भी मैं मोबाइल पर फ़ेसबुक खोलता तो न्यूज़ फीड में सबसे पहले वाशिंग मशीनें ही दिखाई देती थी। एक बार कहीं घूमने के अच्छे डेस्टिनेशन सर्च कर लिए थे तो अगले कई दिनों तक फेसबुक टूर पैकेज के विज्ञापन से भरा दिखाई देने लगा।
यह भी आश्चर्य का विषय है कि जो मोबाइल हैंडसेट मेरे पास हैं, उसी के कवर और एसेसरीज़ के विज्ञापन क्यों मुझे दिखाई देते हैं? रौंडा बायर्न की ‘द सीक्रेट’ और ‘मैजिक’ जैसी किताबें पढ़ चुकने के बाद कई बार इन सबके पीछे ‘लॉ ऑफ अट्रैक्शन’ का भी हाथ नज़र आया। यह नियम कहता है कि जैसा हम सोचते हैं, जिस तरह की हमारी सोच होती है, वैसी ही हमारी ज़िंदगी हो जाती है। इसलिए ऐसा लगा कि इन सबके पीछे यही ‘लॉ’ काम कर रहा है, लेकिन इन सबके पीछे की हकीक़त आज सुबह अखबार पढ़ने के बाद समझ आई।
फेसबुक के सीईओ मार्क ज़ुकेरबर्ग ने यह स्वीकार किया कि फ़ेसबुक इस्तेमाल करने वालों का डेटा उन्होंने कई कंपनियों को बेचा है। इन कंपनियों में मोबाइल एसेसरीज़, इलेक्ट्रॉनिक आइटम, टूर-ट्रेवल और ई-कामर्स जैसी कंपनियां शामिल हैं। यह आज की सच्चाई है कि एक सूई खरीदने से पहले भी उपभोक्ता गूगल से पहले उस बारे में कुछ जानकारी इकट्ठा करता है, उसके बाद ही खरीदने का तय करता है इसलिए जब भी हम गूगल में कुछ सर्च करते हैं तो उसके बाद फ़ेसबुक खोलने पर हमें उससे जुड़े विज्ञापन दिखाई देने लगते हैं।
इस तरह अनजाने में ही हम मार्केटिंग चालों का आसान शिकार बन जाते हैं। फेसबुक पर शक यूं भी नहीं होता है क्योंकि हमने अपने मोबाइल में इतनी एप्लिकेशन्स रखी होती हैं कि हमें खबर ही नहीं होती कि हमारी निजी जानकारी कहां तक पहुंच रही है। अभी तक ज़ुकेरबर्ग भी उपभोक्ताओं की निजी जानकारी का दुरुपयोग होने से इनकार करते रहे है, लेकिन यह खबर सामने आने के बाद उनकी विश्वसनीयता भी दांव पर लग चुकी है। चूंकि फेसबुक के कुल उपभोक्ताओं में भारत का बहुत बड़ा शेयर है इसलिए इस खबर से हमें चौकन्ना हो जाने की ज़रूरत है। हमारी खानपान की आदतें, परिवार के सदस्य, आर्थिक स्थिति, राजनीतिक सोच, मनोरंजन के रुझान से लेकर हर वह जानकारी फेसबुक ने बेच दी है, जो हम नहीं चाहते थे कि किसी अन्य को पता लगे।
फेसबुक के मार्क ज़ुकेरबर्ग ने न सिर्फ ये निजी जानकारियां साझा की है बल्कि एक बहुत बड़ा अपराध किया है जनता के भरोसे को तोड़कर। भारत सरकार के संबंधित विभाग को फेसबुक पर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए क्योंकि यह एक बहुत बड़ी जालसाजी है। हमारी ज़िंदगी में शामिल हो चुका फ़ेसबुक इतना बड़ा धोखेबाज निकलेगा, इसकी बिल्कुल उम्मीद नहीं थी। पहले भारत के चुनावों को प्रभावित करने को लेकर भी फेसबुक चर्चा में आया था, तभी उस पर कुछ ठोस कार्रवाई हो जाती तो आज यह दिन न देखना पड़ता। खैर, अब आप सजग रहें, होशियार रहें। विशेषकर अपनी खरीदार की वस्तुओं को लेकर फेसबुक के मायाजाल से अप्रभावित रहते हुए कुछ निर्णय लें। सरकारें अपनी जगह कार्रवाई करेंगी, लेकिन हमें भी अब सचेत होना ही पड़ेगा।
-सचिन पौराणिक
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