देश और दुनिया इन दिनो कोरोना महामारी से जंग लड़ रहे है और ऐसे में डाक्टर पुलिस और प्रशासन हर संभव प्रयास कर रहे है कि इस महामारी से कैसे निजात पाई जाये . लेकिन इस सब के बावजूद कोरोना के मरीजो की तादात लगातार बढ रही है . एक और समस्या है इन दिनों कोरोना पॉजिटिव लोगों से दुरी बनाने का रिवाज . जी हाँ इन मामलों में सोशल दुरी बेहद जरुरी है, लेकिन यह दुरी शारीरिक हो तो ही बेहतर लेकिन कोरोना के डर से दुरी अब मानसिक और दिली दुरी बन गई है. ऐसे में कोरोना मरीज को अछूत मान कर उनके साथ दुर्व्यवहार के किससे आम हो रहे है.
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जबकि सच तो यह है कि इस समय उन्हें आपकी हमारी और ज्यादा जरुरत है. उनसे उचित दुरी बनाना सावधानी है लेकिन उनसे गलत व्यवहार और उनके प्रति दिल में मेल लाना उनके साथ ज्यादती ही होगी. आज हमें मिलकर इस बीमारी का सामना करना है और सावधानी इसका सबसे बड़ा अचूक हथियार है किन्तु जो इस रोग से संक्रमित है उन्हें आज आपके सहयोग की आवश्यकता है . उन्हें अछूत समझ कर छोड़ देना कही भी उचित नही है. ऐसा करने से पहले एक बार यह सोचे की यदि वह कोई अपना होता तो क्या आप उसके साथ इस तरह का व्यवहार करते . कोरोना के मामलों में जिन लोगो को अपने परिजनियो के शव तक देखने को नसीब नहीं हुए उनसे पूछिए की उन पर क्या बिट रही है.
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ऐसे हमारा जरा सा अपना पण उनमे नई उर्जा का संचार कर सकता है और जीवन के प्रति उनका नजरिया बदल सकता है. वेसे भी इस महामारी का मरीज अवसाद से भी त्रस्त हो सकता है. सो आपको और हम सबको चाहिए की हम सब उनके प्रति स्नेह कम न करें . भले शारीरिक दुरी का पालन करें लेकिन उन्हें मन से दिल से दूर न करे. टेलेंटेड इंडिया न्यूज़ इस मुश्किल समय में आप से यह गुजारिश करता है कि अगली बार जब आप किसी कोरोना मरीज को दूर से भी देखे तो उससे सिर्फ जिस्मानी परहेज रखे न की रूहानी या दिली टूर पर दुरी बनाये ..…
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