जागो-जागो वीर जवान
तुम्हीं हो देश की शान
शत्रु पर करो तेज़ प्रहार
निश्चित शत्रु की हो हार
समझौते की बात न करना
क्षमादान सा काम न करना
शत्रु बड़ा नीच पलटी मारेगा
भारतभू जीतकर भी हारेगा
गौतम-गांधी शान हमारी
सुभाष-भगत जान हमारी
अहिंसा की राह हमने चुनी
खेल वो खेल रहा है खूनी
हम शेर हैं, करते शेरों से काम
वो गीदड़ करे गीदड़ों के काम
लेकर आतंकवाद का सहारा
बन बैठा मानवता का हत्यारा
हे वीर ! सैनिकों आगे बढ़ो
तुम शत्रु की छाती पर चढ़ो
बन गए जो भारत मां पर भार
तुम दो अब उन सबको मार
प्रेषक : मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
ग्राम रिहावली, डाक तारौली,
फतेहाबाद, आगरा, 283111
…और चमक उठा मायूस दुःखी चेहरा
सदाशय साहब की सदाशयता…
कहानी : आधुनिक वैदेही….

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