खड़ी हो गई चाँपकर कंकालों की हूक
नभ में विपुल विराट-सी शासन की बंदूक
Hindi Poem : सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
उस हिटलरी गुमान पर सभी रहें है थूक
जिसमें कानी हो गई शासन की बंदूक
बढ़ी बधिरता दस गुनी, बने विनोबा मूक
धन्य-धन्य वह, धन्य वह, शासन की बंदूक
सत्य स्वयं घायल हुआ, गई अहिंसा चूक
जहाँ-तहाँ दगने लगी शासन की बंदूक
Hindi Kahani : माँ के द्वारा बेटे को सीख
जली ठूँठ पर बैठकर गई कोकिला कूक
बाल न बाँका कर सकी शासन की बंदूक
(साभार: नागार्जुन के द्वारा लिखित कविताओं में से एक शासन की बन्दूक )
Hindi Kahani : आज मिस्टर शामनाथ के घर चीफ की दावत थी।
-Mradul tripathi

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