नदियों की साफ़-सफाई और संरक्षण के लिए कई अभियान चलाए जा रहे हैं। गंगा की सफाई करने के लिए ‘नमामि गंगे’ और ‘स्पर्श गंगा’ जैसे अभियान, उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे हैं। गंगाजल की गुणवत्ता बढ़ाने और उसे पीने योग्य बनाने की दिशा में उत्तराखंड सरकार लगातार प्रयासरत है। उत्तराखंड सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न अभियानों में फिलहाल कोई कामयाबी मिलती नहीं दिख रही है।
अब गंगा की सफाई के लिए ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट पर भी ‘नमामि गंगे’ अभियान के अंतर्गत एक उपकरण लगाया गया है। यह उपकरण पश्चिम बंगाल की कम्पनी द्वारा निर्मित किया गया है और इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में त्रिवेणी घाट पर लगाया गया है। इस उपकरण का नाम ‘ट्रैश बूम’ (कूड़ा नियंत्रक यंत्र) रखा गया है। इस यंत्र के माध्यम से गंगा की जलधारा को निर्मल और स्वच्छ किया जाएगा।
इन उपकरण को निर्मित करने वाली कम्पनी के साइट इंजीनियर शुभम नेगी का कहना है कि यह उपकरण गंगा की जलधारा की ऊपरी सतह पर काम करता है। साथ ही पानी के मोटे-मोटे कचरे को इकट्ठा कर देता है। फिलहाल, इस यंत्र को त्रिवेणी घाट पर पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लगाया गया है। यदि इसमें कामयाबी मिलती है तो फिर इसे पूरे राज्य में नदी के अलग-अलग हिस्सों में स्थापित कर दिया जाएगा। एक अधिकारी ने कहा कि गंगा की स्वच्छता को लेकर चलाए जाने वाले सभी अभियान तब तक कारगर सिद्ध नहीं होंगे, जब तक कि गंगा और उसकी सहायक नदियों को उनके मुहाने से साफ़ न किया जाए।
गंगा की सफाई पर खर्च होंगे 18,000 करोड़
पीने लायक नहीं गंगाजल, यहां का पानी सबसे साफ़
गंगा में नहीं गिरेगा नाली का पानी

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