देश में हलाला, तीन तलाक और बहुविवाह के खिलाफ आवाज़ उठाने की सज़ा समाज से बहिष्कृत करके दी गई| बरेली के आला हज़रत खानदान की पूर्व बहू निदा खान ने मुस्लिम समुदाय की कुप्रथाओं के खिलाफ आवाज़ उठाई थी| वे महिलाओं को न्याय दिलाने और समाज में उनकी अलग पहचान स्थापित करने के लिए जोर-आजमाइश कर रही थीं, लेकिन उसके खिलाफ समाज ने फतवा जारी कर हुक्का-पानी बंद करवा दिया|
मिलने-जुलने वालों पर भी रोक
दरअसल, निदा खान पर इस्लामिक कानून का विरोध करने का आरोप लगाया गया है और इसलिए उसे मुस्लिम समाज से बहिष्कृत कर दिया गया है| बरेली के शहर इमाम मुफ्ती खुर्शीद आलम ने दरगाह आला हज़रत परिसर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और बड़े ही गर्व के साथ फैसला सुनाया कि निदा के खिलाफ फतवा जारी कर दिया गया है| इतना ही नहीं निदा की मदद करने वाले और उससे मिलने-जुलने वाले मुसलमानों को चेतावनी दी गई है कि ऐसा करने वालों को भी इस्लाम से खारिज कर दिया जाएगा|
Nida Khan(triple talaq victim) has been ostracized from Islam because she has been regularly speaking against the religion and its practices. A fatwa has been issued against her: Khurshid Alam,Imam, Bareilly Jama Masjid pic.twitter.com/tx8JykhErr
— ANI UP (@ANINewsUP) July 16, 2018
कब्रिस्तान में दफ़नाने पर भी रोक
मुस्लिम समुदाय ने निदा का सिर्फ हुक्का-पानी ही बंद नहीं किया बल्कि उसके बीमार होने पर दवाई देने, उसकी मृत्यु पर जनाजे में नमाज पढ़ने और उसे कब्रिस्तान में दफ़नाने पर भी रोक लगा दी|
निदा का पलटवार
प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद निदा ने अपने खिलाफ जारी किए गए फतवे के बारे में कहा, “फतवा जारी करने वाले पाकिस्तान चले जाएं| हिन्दुस्तान एक लोकतांत्रिक देश है, यहां दो कानून नहीं चलेंगे| किसी मुस्लिम के पास यह हैसियत नहीं है कि किसी का हुक्का-पानी बंद करे| सिर्फ अल्लाह ही गुनहगार और बेगुनाह का फैसला कर सकता है|”
गौरतलब है कि 16 जुलाई 2015 को निदा की शादी आला हज़रत खानदान के उस्मान रजा खां उर्फ अंजुम मियां के बेटे शीरान रजा खां से हुई थी, जिसके बाद फरवरी 2016 में उनका तलाक हो गया| इसके बाद से ही निदा मुस्लिम समुदाय की महिलाओं के न्याय के लिए आंदोलन चलाने लगीं|
