प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लागू की गई विश्व की सबसे बड़ी आयुष्मान भारत योजना झांखण्ड में सफलता की कगार पर अटकी है। इस योजना की सफलता में निजी अस्पताल रोड़ा बन रहे हैं। सितंबर 2018 में इस महत्वकांक्षी योजना को लागू किया गया था। इस योजना का लाभ ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिल सके, इसके लिए प्रशासन लगातार बैठकें कर रहा है लेकिन, इसका जरा सा भी असर निजी अस्पतालों पर नहीं हो रह है। निजी अस्पताल अपनी कार्यशैली में कोई बदलाव ना करते हुए अभी भी अपनी मनमानी कर रहे हैं।
निजी अस्पतालों द्वारा इसी तरह की मनमानी का एक मामला सरायकेला जिले के आदित्यपुर से सामने आया है। आदित्यपुर में एक लाभार्थी से निजी अस्पताल ने 20 हजार रुपए वसूले थे लेकिन, प्रशासन के दखल के बाद अस्पताल को यह राशि वापस करना पड़ी। इस पूरे घटनाक्रम से कलेक्टर छवि रंजन बेहद नाराज हो गए और अस्पतालों को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह की मनमानी किए जाने पर कड़ी कार्यवाई की जाएगी।
डीसी छवि ने अस्पतालों को हिदायत दी है कि निजी अस्पताल ऐसा कोई भी कार्य ना करे जिसकी वजह से प्रशासन को कार्रवाई करनी पड़े। वहीं अस्पताल के प्रबंधकों से कलेक्टर ने कहा कि यदि किसी लाभार्थी के पास पूरे दस्तावेज नहीं है तो उन्हें योजना का लाभ लेने के लिए दस्तावेज उपलब्ध करवाने का वक़्त दिया जाए। अधूरे दस्तावेज के लिए अस्पताल अपना रवैया बदले और अड़ियल रुख न अपनाए।
गौरतलब है कि आदित्यपुर के मेडिट्रीना अस्पताल में एक 60 वर्षीय सुखलाल मुखी को इलाज के दौरान उसका आयुष्मान योजना के तहत रजिस्ट्रेशन नहीं किया गया। अस्पताल ने सुखलाल से 20 हजार की राशि वसूली और उसके अगले ही दिन सुखलाल की मौत हो गई। इसकी जानकारी सुखलाल के परिजन ने जिला प्रशासन को दे दी। सरायकेला एसडीओ बशारत कयूम ने सूचना पर कार्रवाई करते हुए तत्काल ही जांच के आदेश दिए और परिजन को वसूली हुई राशि वापस करवाई। इसके बाद कलेक्टर ने अस्पताल प्रबंधकों को कड़ी हिदायद दी।
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