राहुल गांधी COVID-19 संकट से निपटने के तरीकों को लेकर देश दुनिया की कई हस्तियों के साथ बातचीत कर रहे हैं. इसी क्रम में वे उद्योगपति राजीव, जन स्वास्थ्य पेशेवर आशीष झा, स्वीडिश महामारी विशेषज्ञ जोहान गिसेक, अर्थशास्त्री रघुराम राजन और नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी के बाद अमेरिका के पूर्व राजनयिक निकोलस बर्न्स के साथ COVID-19 संकट पर बातचीत का सिलसिला ले जा चुके है.
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हार्वर्ड कैनेडी स्कूल के प्रोफेसर बर्न्स से राहुल ने कहा, ”जिस स्तर की सहिष्णुता पहले दिखती थी, वो मुझे अब न तो अमेरिका में दिख रही है और ना ही भारत में.” जवाब में बर्न्स ने अफ्रीकी-अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के खिलाफ अमेरिका में शांतिपूर्ण प्रदर्शनों पर बोलते हुए कहा, ”मुझे लगता है कि चीन जैसे अधिनायकवादी देश के मुकाबले लोकतंत्र वाले देशों के पास फायदा है कि हम खुद को सही कर सकते हैं. स्वयं ही खुद को सही करने का भाव हमारे डीएनए में है…हम हिंसा की तरफ नहीं मुड़ते, हम ऐसा शांति से करते हैं.”
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बर्न्स से राहुल ने कहा, ‘’मुझे लगता है कि विभाजन वास्तव में देश को कमजोर करने वाला होता है, लेकिन विभाजन करने वाले लोग इसे देश की ताकत के रूप में दिखाते हैं. जब अमेरिका में अफ्रीकी-अमेरिकियों, मैक्सिकन और अन्य लोगों को बांटते हैं और इसी तरह से भारत में हिंदुओं, मुस्लिमों और सिखों को बांटते हैं तो आप देश की नींव को कमजोर कर रहे होते हैं, लेकिन फिर देश की नींव को कमजोर करने वाले यही लोग खुद को राष्ट्रवादी कहते हैं.’’ भारत-अमेरिका के संबंधों पर राहुल ने कहा, ”जब हम भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को देखते हैं, तो पिछले कुछ दशकों में बहुत प्रगति हुई है. मगर जिन चीजों पर मैंने गौर किया है, उनमें से एक ये है कि जो साझेदारी का संबंध हुआ करता था, वो शायद अब लेन-देन का ज्यादा हो गया है.”
इस पर बर्न्स का जवाब था कि , ‘’हमारे यहां डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन्स के बीच बहुत कम सहमति है. मगर मुझे लगता है कि हमारे दोनों राजनीतिक दलों में लगभग सार्वभौमिक समर्थन है कि अमेरिका का भारत के साथ बहुत करीबी, सहायक और समग्र संबंध होना चाहिए. हम दुनिया के दो सबसे अहम लोकतंत्र हैं.’’ चीन पर बात करते हुए बर्न्स ने कहा, ”भारत और अमेरिका जैसे लोकतांत्रिक देशों के मुकाबले चीन के पास खुलेपन और नए विचार की कमी है. चीन के पास एक भयभीत नेतृत्व है. भयभीत लोग हैं, जो अपने ही नागरिकों पर शिकंजा कसकर अपनी शक्ति को बनाए रखने की कोशिश करते हैं.
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”महामारी को लेकर बर्न्स ने कहा, ”हमें वैश्विक राजनीति का भविष्य चाहिए. भले ही हम प्रतिस्पर्धा करने जा रहे हैं. चीन और अमेरिका, भारत और अमेरिका. मगर हमें दुनिया को संरक्षित करने की जरूरत है. हम दुनियाभर के लोगों की ओर से एक साथ काम कर सकते हैं और लोगों को उम्मीद दे सकते हैं कि सरकार के रूप में हम उनकी मदद कर सकते हैं. कोविड के साथ यही चुनौती है.” कोरोना संकट से निपटने को लेकर उनके विचार थे कि, ”हमारी लड़ाई सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के लिए है. भारत की तरह लोगों को मास्क पहनने के लिए मनाने की कोशिश करना है क्योंकि अमेरिका में लोग इसे छोड़ना शुरू कर रहे हैं. आम तौर पर युवा लोग.”
