पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी और उसके सहयोगियों ने 2014 से लेकर 2019 के आम चुनाव और अब तक सरकार में छह साल का सफ़र तय कर लिया है. दोनों आम चुनावों में शानदार जीत हासिल हुई और सरकार बनी . पीएम नरेन्द्र मोदी इस बीच अपना कद और ज्यादा बढाने में कामयाब हुए और भारतीय जनता पार्टी का विशवास आज भू उन्हें हासिल है. लेकिन कथनी और करनी का फर्क आज तक मिटा पाने में सरकार कामयाब नही हुई है . 2014 से लेकर 2019 तक के घोषणापत्र में जो वादे किए थे वे आज भी अधूरे ही है.
2014 के चुनाव अभियान में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में कुल 390 वादे लेकिन इनमे से ज्यादातर वादे ही रहे . मतलब समझने के लिए आंकड़ों को देखिये –
2014 के घोषणापत्र में बीजेपी ने कुल 117 वादे निभाए
190 वादे अधूरे है
बाकि पर तो अब तक काम भी शुरू नही हुआ है
अब तक जो वादे पुरे भी हुए है उनका जनता से ज्यादा सरोकार नही है वे प्रशासनिक काम काज के ज्यादा है .
मतलब दुसरे कार्यकाल तक लगभग 190 से ज्यादा वादे पुरे नही हुए. जिनमे कृषि,विज्ञान और कौशल और सामाजिक विकास, अर्थव्यवस्था,महिलाएं, पर्यावरण और ऊर्जा, स्वास्थ्य और शिक्षा, व्यापार और उद्योग,शासन व्यवस्था,अल्पसंख्यक जैसे काम शामिल है. यहाँ तक तो कुछ ठीक नही था, लेकिन फिर एक बार मोदी सरकार के नारे के साथ सबका साथ सबका विकास लेकर लोकसभा चुनाव 2019 के लिए केंद्र की बीजेपी सरकार ने अपना संकल्प पत्र जारी किया जिसमे पुराने वादों का जिक्र तक नही हुआ तो लगा इसे कहते है करेला वो भी निम् चड़ा.
अनछुए वादे
लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण.
मल्टी ब्रैंड रिटेल सेक्टर में एफडीआई 51% से ज़्यादा होना था .
आम लोगों को अधिक , सरकार और प्राइवेट सेक्टर का एक साथ होना .
नई आवासीय कॉलोनियों में खेल की सुविधाओं का वादा
ज!माखो!री और ब्लैक मार्केटिंग रोकने का वादा
एक देश-एक चुनाव
देशी गायों के लिए राष्ट्रीय मवेशी विकास बोर्ड
डिजिटल इंडिया को भारतीय भाषाओं को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय मिशन ई-भाषा
उद्योगों के लिए कर्ज पर ब्याज की दरों को ठीक करना था
कुछ अधूरे वादे
देश के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) पर काम
देश में बुलेट ट्रेन और हाई स्पीड ट्रेन
देश में उद्योग और व्यापार को आसान बनाने का वादा
देश भर में 50 टूरिस्ट सर्किट बनाने का वादा
देश भर में खेल अकादमियों और युवा संसद की स्थापना
देशभर के बंदरगाहों को मैदानी क्षेत्र से सड़क और रेल मार्ग से जोड़ना था
अब इस हिसाब से पीएम के लिए अगर कहा जाये कि ‘’क्या हुआ तेरा वादा ...तो अतिश्योक्ति नही होगी ….
