सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए चेक बाउंस होने की दशा में चेक जारी करने वाले को जवाबदेह बनाने के उद्देश्य से निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स (संशोधन) विधेयक, 2017 को सोमवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया है| इस विधेयक पर हुई चर्चा में वित्त राज्यमंत्री शिवप्रताप शुक्ल ने कहा कि चेक बाउंस होने पर सज़ा की व्यवस्था है, लेकिन इस तरह के मामलों में अपील करने का प्रावधान होने के कारण लंबित मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है| इससे चेक की विश्वसनीयता कम हो रही है और असुविधाएं बढ़ रही हैं|
ये हैं नए प्रावधान
नए प्रावधानों के तहत शिकायतकर्ता को तुरंत न्याय मिलेगा|
मामले की शिकायत करने वाले के लिए 20 प्रतिशत अंतरिम राशि मुआवजे के रूप में देने का प्रावधान किया गया है|
यदि मामला अपीलीय अदालत में जाता है तो 20 प्रतिशत और राशि न्यायालय में जमा करनी होगी|
चेक जारी करने वाले को 20 प्रतिशत दंड पर ब्याज भी देना पड़ेगा|
मामले में न्यायालय चाहे तो दंड की राशि 100 प्रतिशत भी कर सकता है|
वित्त राज्यमंत्री ने कहा कि चेक के अनादरण पर समय-समय पर सरकार को विभिन्न पक्षों की ओर से ज्ञापन प्राप्त हुए हैं|
विधेयक के जरिये अधिनियम में धारा 143 (क) का समावेशन किया गया है, जिसमें अपील करने वाले पक्ष को ब्याज देने का प्रावधान है|
धारा 138 के तहत अदालत में मुकदमा चलने पर पीड़ित पक्ष को 60 दिन के भीतर 20 प्रतिशत अंतरिम राशि देने की व्यवस्था है|
बड़ी राशि होने और दो किस्तों में भुगतान करने की दशा में यह अवधि 30 दिन बढ़ाई जा सकती है|
इसी प्रकार में धारा 148 में संशोधन करके अदालत को चेक जारी करने वाले पर जुर्माना लगाने का अधिकार दिया गया है|
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