वर्ष 1528 से लेकर अब तक अयोध्या में विवादित स्थल (Ayodhya ram Mandir Case) पर मालिकाना हक के लिए हिन्दू और मुस्लिम पक्ष एक दूसरे के दुश्मन बने हुए हैं। सालों से इस मामले पर बहस चल रही है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme court ) में सालों से चल रहे अयोध्या भूमि विवाद पर 16 अक्टूबर को एतिहासिक सुनवाई पूरी हुई। चीफ जस्टिस रंजन गागोई (Chief Justice Ranjan Gagoi ) की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच सभी पक्षों की दलीले सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। अब जब सुनवाई पूरी हो गई है तब मुस्लिम पक्ष ने कुछ शर्ते (Muslim Parties In Ayodhya Case) रखी है, जिसके बाद यह कहा जा रहा है कि अब अयोध्या में राम मंदिर के लिए सभी पक्ष सहमत हो जाएँगे।
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विवाद में आया नया मोड
अयोध्या वार्ता कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सुहेब कासमी और मध्यस्थता में शामिल महंत धर्मदास आज सुप्रीम कोर्ट में जब मिले तो ऐसे मिले
जय हिंद ?☺️??☺️? pic.twitter.com/EaSSsVtur8
— Samir Abbas (@TheSamirAbbas) October 16, 2019
राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद (Ram temple-Babri Masjid land dispute ) में अंतिम सुनवाई के बाद नया मोड सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मध्यस्थता पैनल ने सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 2.77 एकड़ की जमीन के बंटवारे के इस विवाद में वह समझौते के लिए तैयार हो सकते हैं। इसके लिए मुस्लिम पक्ष (Muslim Parties In Ayodhya Case) ने कुछ शर्ते रखी हैं। मुस्लिम पक्ष ने शर्त रखी है कि 1991 के कानून का सख्ती से पालन किया जाए, जिसके तहत 15 अगस्त 1947 से जारी व्यवस्था के अनुसार यह जगह सबके लिए प्रार्थना स्थल के तौर पर प्रयोग होती थी। इसी के साथ अयोध्या में स्थित सभी मस्जिदों की मरम्मत कारवाई जाए और अंत में शर्त रखी है कि दूसरे स्थान पर वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिए जगह दी जाये। यदि इन शर्तों को मान लिया जाता है तो अयोध्या की विवादित जमीन पर राम मंदिर बनना तय है।
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सुनवाई के क्या होंगे नतीजे ?
दशकों से चली अयोध्या विवादित जमीन (Ayodhya disputed land Case ) की 16 अक्टूबर को अंतिम सुनवाई हुई। इसके बाद कहा जा रहा है कि या तो आने वाले महीने में इस विवाद का अंत कर दिया जाएगा, नहीं तो फिर से इस विवाद के लिए नई बेंच का गठन कर दिया जाएगा। ऐसा इसीलिए क्योंकि सीजेआई रंजन गोगाई (CJI Ranjan Gogai ) अगले महीने 17 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं, इसीलिए उनसे उम्मीद की जा रही है कि उनके रिटायर होने से पहले इस विवाद पर फैसला आ जाएगा। यदि उनके फैसले से किसी भी पक्ष को परेशानी होगी, तो हमेशा के जैसे नई बेंच का गठन किया जाएगा। वहीं यदि मध्यस्थता पैनल की सभी शर्तों को भी मान लिया जाता है तो भी राम मंदिर बनना तय है।
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