श्रीलंका में ईसाई समुदाय के पावन पर्व ईस्टर के दिन हुए आतंकी हमलों में कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। इसके बाद श्रीलंका में चेहरे को ढकने वाले बुर्के और नकाब को प्रतिबंधित कर दिया गया था। जिसके बाद भारत में भी बुधवार को शिवसेना ने महिलाओं के बुर्के पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग उठाई थी। शिवसेना की मांग के बाद से पूरे देश में बुर्के को लेकर सियासत शुरू हो गई थी। इसी बीच खबर आई है कि केरल की एक मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने अपनी छात्राओं के चेहरा ढकने पर पाबंदी लगा दी है। केरल राज्य की मुस्लिम एजुकेशनल सोसाइटी (MES) ने एक सर्कुलर जारी किया है जिसमें छात्राओं से कॉलेज में चेहरा न ढकने की बात कही है।
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Kerala: Muslim Education Society (MES) has issued a circular banning girl students from covering their faces in colleges.
— ANI (@ANI) May 2, 2019
मुस्लिम एजुकेशनल सोसाइटी (MES) ने अपने सभी संस्थानों में नकाब पर प्रतिबंध लगा दिया है। श्रीलंका की तरह अब एमईएस में भी चेहरे को ढकने वाले सभी पहनावों पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया है। गौरतलब है कि कोझिकोड में मुस्लिम एजुकेशनल सोसाइटी का मुख्यालय स्थिति है। पूरे राज्य में इस एजुकेशनल सोसाइटी के डेढ़ सौ से अधिक शिक्षण संस्थान स्थापित हैं। अब इन सभी संस्थाओं में चेहरे को ढकने पर पाबंदी लगा दी गई है। इस मामले में MES के अध्यक्ष फजल गफूर ने कहा, 2019-20 के शैक्षणिक सत्र से यह नया नियम उनके सभी संस्थानों में लागू कर दिया जाएगा।
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गौरतलब है कि फजल गफूर पेशे से चिकित्सक हैं। उन्होंने कहा कि इस नियम का सभी छात्र-छात्राओं और शिक्षकों बेहद कड़ाई के साथ पालन करना होगा। इसके अलावा गफूर ने कहा कि जारी किए गए इस नए सर्कुलर को लेकर राज्य में कोई नया विवाद खड़ा करने की कोई भी आवश्यकता नहीं है। क्योंकि सिर्फ चेहरे को ढकने पर प्रतिबन्ध लगाया गया है लेकिन ड्रेस कोड में कोई भी परिवर्तन नहीं किया गया है। सर्कुलर में सिर्फ चेहरा न ढकने की बात कही गई है लेकिन ड्रेस कोड में शिष्ट कपड़े ही पहनने को कहा है।
MES के इस फैसले को गलत ठहराते हुए मुस्लिम संगठन समंत केरल जमायतुल्ला उलमा के अध्यक्ष सैयद मुहम्मद जाफरी ने कहा कि वे धार्मिक मुद्दों पर कोई फैसला नहीं ले सकते। गौरतलब है कि इसके पहले शिवसेना ने श्रीलंका में चेहरा ढकने पर प्रतिबन्ध लगाए जाने का समर्थन किया था। शिवसेना श्रीलंका के इस फैसला समर्थन करते हुए कहा था कि, पार्टी ने इससे मिलते-जुलते प्रतिबंध का प्रस्ताव पहले भी सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया था। शिवसेना ने कहा कि जब रावण की लंका (श्रीलंका) में भी यह नियम लागू किया जा चुका है, तो यह राम की अयोध्या में कब लागू होगा? शिवसेना ने अपने मुख्यपत्र के जरिए कहा था कि चेहरे को ढकने या फिर बुर्का पहने हुए लोग राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हो सकते हैं। इसलिए इस पर जल्द से जल्द प्रतिबन्ध लगना चाहिए।
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