2008 मे हुए मालेगांव ब्लास्ट मामले (Malegaon Blast Case) में अभी भी सुनवाई हो रही है। दस साल से अधिक समय हो जाने के बाद भी पीड़ित परिवारों को अभी तक न्याय नहीं मिला है। अब इस मामले पर आज यानि मंगलवार को कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। मुंबई की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की याचिका ठुकरा दी। इसके बाद आगे की सुनवाई की गई।
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जानकारी के अनुसार, एनआईए ने अदालत से मांग की थी कि इस मामले में मीडिया को दूर ही रखा जाए। एनआईए ने इन-कैमरा सुनवाई और मामले में कार्यवाही करने और मुकदमे की रिपोर्टिंग से मीडिया को प्रतिबंधित करने की याचिका डाली थी, जिसे विशेष अदालत ने खारिज कर दिया (Malegaon Blast Case)। एनआईए की याचिका का विरोध करते हुए द इंडियन एक्सप्रेस सहित पत्रकारों के कई समूहों ने हंगामा किया था और उन्होने अदालत में हस्तक्षेप आवेदन दायर किया था। इस मामले में भोपाल की सांसद साध्वी प्रज्ञा को भी दोषी करार दिया है। वह अभी जमानत पर हैं।
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2008 Malegaon blasts case: A special court in Mumbai has rejected NIA application for in-camera trial. The court reserves the right to allow either full or partial proceedings to be reported of truncated witnesses. pic.twitter.com/5Tf0wKkeq7
— ANI (@ANI) October 1, 2019
एनआईए कि याचिका खारिज करते समय अदालत ने कहा कि इस मामले के बारे में सभी के पास सच्ची जानकारी जानी चाहिए ताकि पीड़ित परिवार को भी इसकी सामय पर जानकारी मिल सके । एजेंसी ने दावा किया था कि विशेष अदालत के पास इन-कैमरा कार्यवाही करने के लिए एक आदेश पारित करने का अधिकार है। पत्रकारों के आवेदन के जवाब में, एजेंसी ने कहा कि याचिका प्रस्तुत नहीं की जा सकती है क्योंकि मीडिया के मामले में कोई ठिकाना नहीं है। साथ ही कहा कि यह “बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, प्रेस की स्वतंत्रता और सूचना के अधिकार” के पक्ष में है, इस मामले की “संवेदनशील” प्रकृति को देखते हुए, एनआईए ने इन-कैमरा सुनवाई के लिए याचिका दायर की है।
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– Ranjita Pathare
