महाराष्ट्र में लंबी खींचतान के बाद भी आखिर सरकार का गठन नहीं हो पाया और आखिर में राज्यपाल को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा (President Rule in Maharashtra)। हालांकि भारतीय जनता पार्टी के सरकार बनाने से इंकार करने के बाद लगातार यहां सियासी समीकरण बदलते हुए नज़र आए। तेजी से बार-बार बदलते समीकरणों के बीच भी भाजपा शांत रही। लेकिन अब पहली बार महाराष्ट्र की राजनीति पर गृह मंत्री अमित शाह का बयान आया है। अमित शाह ने कहा कि शिवसेना की 50-50 की मांग गलत थी। वहीं उन्होंने कहा कि विपक्ष केवल राजनीति कर रहा है।
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— ANI (@ANI) November 13, 2019
अमित शाह ने कहा कि राज्यपाल ने सभी को पर्याप्त समय दिया। अमित शाह ने अपने बयान में कहा कि, “महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन पर विपक्ष की प्रतिक्रिया सिर्फ कोरी राजनीति है। (President Rule in Maharashtra) राज्यपाल जी द्वारा कहीं भी संविधान को तोड़ा-मरोड़ा नहीं गया। दोपहर में NCP द्वारा पत्र लिखकर रात 8 बजे तक सरकार बनाने में असमर्थता जताने के बाद ही राज्यपाल जी ने राष्ट्रपति शासन लगाया है।” उन्होंने कहा कि जब NCP की तरफ से राज्यपाल को पत्र लिखकर सरकार बनाने में असमर्थता जाता दी गई तभी राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने की सिफारिश की।
महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन पर विपक्ष की प्रतिक्रिया सिर्फ कोरी राजनीति है।
माननीय राज्यपाल जी द्वारा कहीं भी संविधान को तोड़ा-मरोड़ा नहीं गया।
दोपहर में NCP द्वारा पत्र लिखकर रात 8 बजे तक सरकार बनाने में असमर्थता जताने के बाद ही राज्यपाल जी ने राष्ट्रपति शासन लगाया है। pic.twitter.com/vpzNNIYJuI
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जब अमित शाह से पूछा गया कि जब विधानसभा भंग नहीं की गई तो फिर राज्य में राष्ट्रपति शासन क्यों लगाया गया? इसके जवाब में अमित शाह ने कहा कि, “राष्ट्रपति शासन लगाने की आवश्यकता इसलिए भी पड़ी कहीं विपक्ष ये आरोप ना लगाए कि राज्यपाल भाजपा की अस्थायी सरकार को चला रहे हैं।”
राष्ट्रपति शासन लगाने की आवश्यकता इसलिए भी पड़ी कहीं विपक्ष ये आरोप ना लगाए कि राज्यपाल भाजपा की अस्थायी सरकार को चला रहे हैं।
अब सबके पास 6महीने का समय है अगर किसी के पास बहुमत है तो राज्यपाल से मिल ले।लेकिन एक संवैधानिक पद को इस तरह राजनीति में घसीटना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। pic.twitter.com/aCi4Ec6In8
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वहीं सभी पार्टियों को पर्त्याप्त समय न देने के जवाब में अमित शाह ने कहा, “अब सबके पास 6महीने का समय है अगर किसी के पास बहुमत है तो राज्यपाल से मिल ले। लेकिन एक संवैधानिक पद को इस तरह राजनीति में घसीटना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।” उन्होंने कहा कि किसी भी पार्टी के लिए अब समय की कोई पावंदी नहीं है। अब हर किसी के पास 6 माह का समय है। इसके बीच में कोई पार्टी जिसके पास बहुमत है तो वह राज्यपाल से जाकर मिल सकता है और सरकार बनाने का दावा पेश कर सकता है।
