अल-कायदा के नेता आसिम उमर की हाल ही में अमेरिका ने हत्या की पुष्टि की है। अब आसिम उमर के बारे मे कई खुलासे किए जा रहे हैं। सबसे बड़ा खुलासा यह किया गया कि उसका जन्म भारत में हुआ था (Asim Omar Killed In Afghanistan)। इसके बाद उसने पाकिस्तान जाकर आतंकी बनने की ट्रेनिंग ली और अब उसकी जीवनलीला अफगानिस्तान में जाकर खत्म हुई है। अफगान राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय (एनडीएस) ने कहा कि उमर पाकिस्तानी था, और कई अन्य पाकिस्तानी आतंकवादियों के साथ मारा गया।
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उत्तर प्रदेश के संभल में जन्मे अल-कायदा के नेता आसिम उमर को अल कायदा प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी ने पांच साल पहले अपनी सबसे बड़ी नौकरी में पदोन्नत किया था। 2015 की शुरुआत में उमर को उत्तरप्रदेश में देखा गया था, लेकिन इसके बाद उसे भारत में किसी ने नहीं देखा। बताया जाता है कि वह 1990 के दशक कि शुरुआत में ही अपने घर से भाग गया था। उसकी माँ रुकैया का कहना है कि ‘देवबंद में दार-उल-उलूम मदरसा से अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, सनाउल (आसिम उमर ) ने अपने पिता से आगे की पढ़ाई के लिए सऊदी अरब जाने के लिए 80,000 रुपये मांगे (Asim Omar Killed In Afghanistan)। उनके पिता ने इनकार कर दिया, जिससे झगड़ा हुआ। सनाउल ने अपने पिता के साथ दुर्व्यवहार किया, यह देख उसके चाचा ने उसकी पिटाई कर दी। इसके बाद वह गुस्से में घर से भाग गया।
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Chief of Al-Qaeda in the Indian Subcontinent, Asim Umar killed in Musa Qala district in Afghanistan’s southern Helmand province by US Forces in an air strike: TOLO News pic.twitter.com/yHvaNAiJnt
— ANI (@ANI) October 8, 2019
बाबरी विध्वंश के बाद मिला सुराग
1999 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद उसके आतंकी गतिविधियों में पाए जाने की खबरे आने लगी। उसने 1991 में देवबंद मदरसा से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद जिहादी गतिविधियों में शामिल हो गया। इसके बाद वह पाकिस्तान पहुंचा और जामिया उलूम-ए-इस्लामिया-एक कराची मदरसे में आतंक की ट्रेनिंग लेने लगा। इसके बाद वह आईएसआई के सबसे पुराने संगठन में शामिल हो गया। 1990 के दशक के अंत से लेकर 2004 तक, हक ने बत्रासी, कराची, और पेशावर में जिहादियों को पढ़ाया, और पाक अधिकृत कश्मीर में हक के प्रशिक्षण शिविरों में भी कार्य किया। इसके बाद वह कई आतंकी गतिविधियों में शामिल हुआ और अफगानिस्तान पहुंचा और अब उसका अफगानिस्तान में अंत हो गया।
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– Ranjita Pathare
