वीर सावरकर (Veer Savarkar) के नाम पर देश की राजनीति में बवाल मचा हुआ है। भाजपा (BJP ) है कि सावरकर को भारत रत्न देने पर अड़ी है और कांग्रेस (Congress) इसका लगातार विरोध कर रही है। वहीं अब राजनीति का दंगल सोशल मीडिया पर भी शुरू हो गया है। गृहमंत्री अमित शाह के एक बयान के कारण सोशल मीडिया पर युद्ध छिड़ गया है। भाजपा वाले शाह (Amit Shah) के बयान का समर्थन कर रहे हैं तो विपक्षी उनके बयान का मखौल उड़ा रहे हैं । मुद्दा है सावरकर की जन्मतिथि और स्वतंत्रता आंदोलन (Independence movement) की शुरुआती क्रांति 1857 का ।
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क्यो बन रहा मुद्दा ?
गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने उत्तरप्रदेश के वाराणसी (Varanasi of Uttar Pradesh) में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा “अगर वीर सावरकर नहीं होते तो 1857 का स्वतंत्रता संग्राम इतिहास में दर्ज नहीं हो पाता। वक्त आ गया है, जब देश के इतिहासकारों को इतिहास नए नजरिए से लिखना चाहिए। उन लोगों के साथ बहस में नहीं पड़ना चाहिए, जिन्होंने पहले इतिहास लिखा है। उन्होंने जो कुछ भी लिखा है, उसे रहने दीजिए। हमें सत्य को खोजना चाहिए और उसे लिखना चाहिए। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपना इतिहास लिखें। हम कितने वक्त तक अंग्रेजों पर आरोप लगाते रहेंगे?” शाह के इस बयान के बाद एक पत्रकार का ट्वीट आया “अब तो यक़ीन हो गया कि अमित शाह की डिग्री भी जरूर फ़र्ज़ी है। अंग्रेजों से माफी मांगने वाले सावरकर का जन्म 28 मई, 1883 में हुआ था, तो बिना पैदा हुए 1857 की क्रांति कैसे कर दी? गृह मंत्री को तुरंत सर्वशिक्षा अभियान के तहत फिर से स्कूल भेजा जाए।”
तेरी खोपड़ी में गुदा है ही नहीं।वैदिक संस्कृति के पुनुरुत्थान के लिये जरूरी नहीं कि उस काल में पैदा हुआ जाय,उसको पुनर्जीवित करने के लिये और राक्षसों के संहार हेतु आज का इन्सान पर्याप्त है। #वीर_सावरकर के कुशल नेतृत्व में1857 के वामपंथी"गदर" क़ो राष्ट्रवादी"आजादी" का श्रेय मिला। pic.twitter.com/QEHoT2skkp
— Mastana (@HarishK04131926) October 17, 2019
इस ट्वीट के बाद कई लोगों ने पत्रकारो को घेरना शुरू कर दिया है। अब सोशल मीडिया पर कई लोग अमित शाह को ट्रोल कर रहे हैं तो कई पत्रकार को। अमित शाह ने यह यह बयान सावरकर द्वारा 1857 की क्रांति पर लिखी एक किताब के बारे में दिया था, जिसे सावरकर के जन्मदिन से जोड़ा जा रहा है।
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अनपढ़ भक्त इसको भी लाईक कर रहे हैं ।
अरे भक्तों #कायर_सावरकर का जन्म 1883 में हुआ था। pic.twitter.com/ZPZinbyeB8— शशि प्रकाश (@ShashiyadavRs) October 17, 2019
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अंग्रेजो ने 1857 के विद्रोह को,एक सामान्य सैनिक असंतोष मात्र घोषित किया था1909 में सावरकर जी ने अपनी book The Indian War of Independence 1857 के द्वारा
इसे first Independance war बताकर लोंगो में आत्मविश्वास और राष्ट्रवाद को भरा
और वह भी काफी गुप्त तरीके से प्रकाशित किया,
— सत्यान्वेशी (@Vedant25158538) October 18, 2019
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– Ranjita Pathare
