कुछ समय पहले ही कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल होकर देश और मप्र की सियासत में भूचाल ला देने वाले पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके साथ बीजेपी में शामिल विधायकों को लेकर सब कुछ थी नही चल रहा हैं. सिंधिया समर्थक 22 विधायकों से बीजेपी नेताओं का मन नही मिल रहा है. लाख कोशिशों के बाद भी सिंधिया समर्थकों और स्थानीय बीजेपी नेताओं के बीच की दूरियां बरक़रार (BJP Leaders Not Support Jyotiraditya Scindia Suppoters ) है ऐसे में सूबे के मुखिया सीएम शिवराज सिंह चौहान खुद मैदान में आ गए है. उपचुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही सभी राजनीतिक दलों ने तैयारियां शुरू दी है .इसेमें शिवराज ने भी कमर कस ली है.
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उनका पहला काम सिंधिया समर्थकों और स्थानीय बीजेपी नेताओं को आपस में मिलाना है. सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को रायसेन जिले के सांची से चुनावी बिगुल फूंका. अपने डोर टू डोर कैंपन और बीजेपी नेताओं के साथ बैठक के बिच उनका प्रयास यह भी रहा की यहाँ से संभावित उम्मीदवार प्रभुराम चौधरी जो पहले कांग्रेस में थे के स्थानीय नेताओं को खड़ा करें. पूर्व मंत्री गौरीशंकर शेजवार और प्रभुराम चौधरी में पुरानी रंजिश रही है. शेजवार 7 बार सांची से विधायक रहे हैं, हालाँकि 2018 के विधानसभा चुनाव में वह हार गए थे और अब दोनों साथ बैठने के बाद भी असहज हैं.
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इस पर कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहा है कि शिवराज जी कितना भी साथ बैठा दो, कितनी भी समन्वय की कोशिश कर लो, बिकाऊ के खिलाफ टिकाऊ का संघर्ष जारी रहेगा.टिकाऊ बिकाऊ को अपने ऊपर बैठाना बर्दाश्त नहीं करेगा. इसके जवाब में बीजेपी के मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पराशर ने कहा कि सावन के अंधे को हरा-हरा दिखता है. कमलनाथ ने साफ-साफ कहा है कि दिग्विजय सिंह के धोखे के कारण सरकार गिरी है. दिल न मिलने और धोखाधड़ी की नौबत कांग्रेस में आई हुई है. हमारे यहां सब लोग मिल गए हैं, जैसे दूध में शक्कर मिल जाती है.
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