बाबा रामदेव (Baba Ramdev) ने हाल ही में कोरोनिल (Coronil) नामक दवाई लंच की और दावा किया की यह दवा कोरोना का रामबाण ईलाज है. लेकिन पहले क़ानूनी पचड़े में पड़ने के बाद यह दावा अब कारगर भी सिद्ध होती नजर नही आ रही है. कोविड-19 के सौ प्रतिशत इलाज का दावा आयुष मंत्रालय द्वारा बाबा रामदेव से जवाब मांगे जाने के बाद खटाई में पड़ा था और फिर उत्तराखंड सरकार ने कहा है कि उन्होंने ऐसी किसी दवा के लिए लाइसेंस नहीं दिया है.
गौरतलब है कि बाबा रामदेव ने कहा था कि इस दवा का ट्रायल राजस्थान के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्चेस (NIMS) में किया गया है. ये एक प्राइवेट अस्पताल है जहां पर कोरोना के मरीजों का इलाज चल रहा है. इस बात से इनकार करते हुए राजस्थान सरकार की तरफ से कहा गया है कि उन्हें इस दवा के ट्रायल की कोई जानकारी नहीं है.
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‘’ राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज के मेडिकल हेल्थ ऑफिसर नरोत्तम शर्मा का कहना है- ‘NIMS अस्पताल में सिर्फ लक्षणविहीन कोरोना रोगी ही भर्ती कराए जा रहे हैं. इसलिए ये कहना उचित नहीं कि इस दवा ने कोरोना रोगियों का सौ प्रतिशत इलाज कर दिया है.‘’
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खबर यह भी है कि दवा का ट्रायल सिर्फ हल्के लक्षणों वाले कोरोना रोगियों पर किया गया न की गंभीर रूप से ग्रसित लोगों पर. दवा देने के रोगियों में लक्षण गंभीर हुए और उन्हें एलोपैथिक दवाएं दी गईं. निम्स जयपुर के चीफ इन्वेस्टिगेटर डॉ. गनपत देवपुरा के मुताबिक-ये सौ मरीजों पर किए गए ट्रायल की सिर्फ एक अंतरिम रिपोर्ट थी. फाइनल रिपोर्ट 15 से 25 दिनों के भीतर आएगी. इसके बाद ही इसे पीयर रिव्यू यानी बेहतर मूल्यांकन के लिए भेजा जाएगा.
डॉ. गनपत ने साफ किया है कि जब ट्रायल के दौरान रोगियों में बुखार या अन्य लक्षण उभरे तो उन्हें एलोपैथिक दवाएं दी गईं. डॉ. गनपत ने कहा है- ‘ये एक डबल ब्लाइंड रैंडमाइज्ड ट्रायल था. 50 मरीजों को प्लेसेबो और 50 मरीजों को आयुर्वेदिक इलाज दिया गया था. हमने पहले, तीसरे और सातवें दिन RT PCR टेस्ट किए थे. और इनमें से 69 प्रतिशत मरीजों का टेस्ट तीसरे दिन निगेटिव आया था. प्लेसेबो ग्रुप में सिर्फ 50 प्रतिशत का टेस्ट निगेटिव आया. सातवें दिन किए गए टेस्ट में आयुर्वेदिक दवाओं वाले ग्रुप के सभी मरीज निगेटिव आए थे जबकि प्लेसेबो ग्रुप में 65 प्रतिशत. यानी 35 प्रतिशत रोगियों का इलाज आगे भी जारी रहा.
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आयुर्वेदिक इलाज में मरीजों को स्वसरी रस (500 एमजी), अश्वगंधा (500 एमजी), गिलोय अर्क (500 एमजी), तुलसी अर्क(500 एमजी) दिए गए. राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज के मेडिकल हेल्थ ऑफिसर नरोत्तम शर्मा का कहना है- ‘NIMS अस्पताल में सिर्फ लक्षणविहीन कोरोना रोगी ही भर्ती कराए जा रहे हैं. इसलिए ये कहना उचित नहीं कि इस दवा ने कोरोना रोगियों का सौ प्रतिशत इलाज कर दिया है.’ वहीं राजस्थान के हेल्थ मिनिस्टर रघु शर्मा के मुताबिक- ‘ये क्लीनिकल ट्रायल बिना सरकार से अनुमति लिए किए गए हैं. क्लीनिकल ट्रायल को लेकर स्पष्ट गाइडलाइंस मौजूद हैं.’
