अंततः तमाम विवादों के बाद बहुप्रतीक्षित राफेल विमान भारतीय सेना के बेड़े में शामिल हुआ. इस विमान को लेकर पिछले एक दशक से कई तरह की बातें की गई जिसमें सियासत खूब हुई कांग्रेस और बीजेपी ने एक दूसरे के ऊपर आरोप और प्रत्यारोप के बम इस विमान के नाम पर लगातार चलाएं हैं .अब जाकर बीजेपी की मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में कुल 36 में से पहले पांच राफेल विमान अंबाला एयर बेस पर लैंड कर चुके हैं और यह विमान कब भारतीय सेना की नई ताकत बन गए.
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लेकिन सरकार और उसके मंत्री इन विमानों की पहली खेप को इस तरह से बता रहे हैं जैसे चीन और पाकिस्तान के खिलाफ सरकार ने एक बड़ी जंग जीत ली हो , यह यह 5 विभाग भारतीय सेना को मिलने वाले पहले 5 विमान है इससे पहले भारत के पास एक भी बीमार नहीं था इस तरह का जोर शोर से प्रचार करना हालांकि बीजेपी की फितरत में भी है,लेकिन हकीकत यह है कि अभी सिर्फ हथियार आए हैं जंग का तो कहीं नामोनिशान है ही नहीं, निसंदेह रूप से भारतीय सेना के लिए राफेल का आना एक बड़ी उपलब्धि और भारत के लिए यह दिन गौरवमई दिन है लेकिन जिस तरह से सरकार इसके लिए खुद की पीठ थपथपा रही है वह कतई ठीक नहीं है.
सरकार को चाहिए कि इस समय कोरोनावायरस से पीड़ित लोगों की मदद करें ना कि राफेल जैसे मुद्दे और राम मंदिर के शिलान्यास पर मीडिया को लगाकर ध्यान भंग करने का काम करें
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गौरतलब है कि राफेल का सौदा काग्रेस सरकार के राज में हुए से सोदे से महंगा करते हुए मोदी ने इस मामले को अंत तक पहुंचाया था, विवादों से भरे इस सौदे को लेकर कई तरह की बातें पहले भी की जा चुकी है लेकिन अब खुद के कद को बढ़ाने के लिए सरकार की पुरजोर कोशिश चल रही है ऐसे में राफेल और राम मंदिर का शिलान्यास एक और बड़ा कदम साबित होगा विपक्ष कमजोर हैं जो सरकार की बड़ी ताकत हमेशा से रही है. लेकिन बावजूद इसके बीजेपी सरकार राफेल की डिलीवरी को कुछ इस तरह से पेश कर रही है जैसे इससे पहले भारतीय सेना के पास लड़ाकू विमान थे ही नहीं किया बीती सरकारों ने देश की सेना के लिए एक अन्नी तक खर्च नहीं की
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