पाकिस्तान द्वारा जम्मू-कश्मीर में टेरर-फंडिंग की जाँच में एक और सुबूत पाकिस्तान के खिलाफ इशारा कर रहा है. तहकीकात के दौरान NIA को जानकारी मिली कि आरोपी जहूर अहमद शाह वटाली उन लोगों में से एक था जिनके जरिए ISI के अधिकारी और नई दिल्ली में मौजूद पाकिस्तानी उच्चायोग हुर्रियत के नेताओं को पैसे पहुंचाते थे. जाच एजेंसी NIA ने वटाली के घर पर छापेमारी के दौरान एक कागज बरामद किया जिसमें हुर्रियत के कई नेताओं को पैसे दिए जाने का कच्चा चिठ्ठा था. कागजात में हुर्रियत के नेताओं को पाकिस्तानी उच्चायोग से मिले पैसों की जानकारी भी है. पाकिस्तानी उच्चायोग के वरिष्ठ राजनयिक इकबाल चीमा का नाम इसमें साफ साफ लिखा है. इसे नई दिल्ली में बतौर ISI स्टेशन चीफ तैनाती दी गई थी. जाँच में पाया गया है कि 15 मार्च 2016 को, नई दिल्ली में मौजूद पाकिस्तानी उच्चायोग से जहूर अहमद शाह वटाली को 30 लाख रुपये मिले, .20 अक्टूबर 2016 को इकबाल चीमा के जरिए उसे 40 लाख रुपये और मिले .
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बता दे कि 23 जून को भारत ने नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास में स्टाफ 50 फीसदी कम कर दिया साथ ही इस्लामाबाद में अपने दूतावास में भी यही काम किया गया. पाकिस्तानी उच्चायोग के प्रभारी सैयद हैदर शाह को जानकारी विदेश मंत्रालय में बुला कर दी गई. मुदस्सर इकबाल चीमा 23 सितंबर 2015 से 2 नवंबर 2016 तक प्रथम सचिव (प्रेस) नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग में पदस्थ था. 2 नवंबर 2016 को चीमा और हाई कमीशन के पांच दूसरे अधिकारियों को पाकिस्तान ने बिना वजह बुलाये वापस बुलाया. मुदस्सर इकबाल चीमा जहूर अहमद शाह वटाली के जरिए हुर्रियत के नेताओं तक फंड पहुंचाता था.
2017 में बारामुला के SSP इम्तियाज हुसैन, को खुफिया जानकारी मिली जिसमे कहा गया था कि ‘बारामुला पुलिस ने हिजबुल मुजाहिद्दीन के एक मॉड्यूल जो नवयुवकों को आतंकी बनने का प्रलोभन दे रहा था. मॉड्यूल का एक सदस्य पाकिस्तान जा चुका था, उसने पाकिस्तान हाईकमीशन से एक अलगाववादी संगठन के जरिए वहां का वीजा हासिल किया था, इसके बाद उसे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के खालिद इब्न अल-वालिद कैंप में आतंकी ट्रेनिंग दी गई थी. SSP इम्तियाज हुसैन ने इसका भंडाफोड़ किया था.
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हवाला और टेरर-फंडिंग का ‘अड्डा’ बना पाकिस्तान हाई कमीशन
जनवरी 2020 में जम्मू-कश्मीर के डीएसपी देविंदर सिंह की गिरफ्तारी से जुड़े मामले की में पकड़े गए हिजबुल कमांडर नवीद मुश्ताक, इरफान शफी मीर और रफी अहमद ने पूछताछ में पुलिस के सामने कबूला कि सभी आरोपी पाकिस्तान हाई कमीशन के अधिकारी शफाकत के संपर्क में थे, जो कि असिस्टेंट के पद पर तैनात था, लेकिन हकीकत में हवाला के लेनदेन और टेरर फंडिंग का काम देखता था.
