चुनाव आयोग जल्द ही बड़ा फैसला लेने वाला है। नेताओं को झूठी जानकारी देने वालों की अब खैर नहीं होगी। झूठी जानकारी देने पर नेता अयोग्य घोषित हो जाएगा। इसके साथ ही विधायी परिषद चुनावों में उम्मीदवारों के खर्च की अंतिम सीमा बांधी जाएगी।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आयोग के शीर्ष अधिकारियों ने शीतकालीन सत्र समाप्त होने के बाद विधायी सचिव जी.नारायण राजू के साथ बैठक की योजना बनाई है। शीर्ष अधिकारी सरकार से चुनाव के वक्त रिश्वत को संज्ञेय अपराध बनाने के लिए कहेंगे। संसद का शीतकालीन सत्र आठ जनवरी को समाप्त होगा। गौरतलब है कि आयोग के प्रशासनिक मामले सीधे तौर पर विधि मंत्रालय के अंतर्गत आते हैं। मौजूदा व्यवस्था में गलत हलफनामा देने वाले उम्मीदवार के खिलाफ आपराधिक कानून के तहत धोखाधड़ी का मामला दर्ज होता है।
एक अन्य प्रस्ताव यह है कि चुनाव आयोग सशस्त्र बल के कर्मियों के लिए चुनाव कानून जेंडर न्यूट्रल बनाने पर ज़ोर देगा। चुनाव कानून में प्रावधानों के मुताबिक, फिलहाल किसी सैन्यकर्मी की पत्नी को एक सर्विस वोटर के तौर पर पंजीकृत होने का हक़ है, परंतु किसी महिला सैन्य अधिकारी का पति इसके लिए हकदार नहीं है।
राज्यसभा के समक्ष लंबित एक विधेयक में पत्नी शब्द को पति या पत्नी से बदलने का प्रस्ताव किया है, जिससे प्रावधान लिंगों के लिए एक समान हो जाएगा। सशस्त्र बल कर्मी, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल, अपने राज्य के बाहर तैनात राज्य पुलिसबल कर्मी और भारत के बाहर तैनात केंद्र के कर्मचारी सर्विस वोटर के रूप में पंजीकृत होने के पात्र होते हैं।
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