एमएस स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट को पूरी तरह से लागू करने सहित कई मांगों को लेकर गुरुवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर किसान जुट रहे हैं। हज़ारों की संख्या में पहुंचे किसान दिल्ली हरियाणा बॉर्डर पर बिजवासन इलाके में रुके हुए हैं। तकरीबन 25 किलोमीटर की पदयात्रा करते हुए किसान रामलीला मैदान पहुंचेंगे। किसान नेता योगेंद्र यादव इस मार्च की अगुवाई कर रहे हैं।
दिल्ली पुलिस ने जारी की एडवाइज़री
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति के बैनर तले पूरे देश में पदयात्रा के बाद बड़ी संख्या में किसान 29 और 30 नवंबर को दिल्ली आने वाले आठ प्रमुख रास्तों से दाखिल होने वाले हैं, जिसे लेकर दिल्ली पुलिस ने एडवाइज़री जारी की है।
आंदोलन काफी अलग
पूर्ण कर्ज़ माफ और फसलों की लागत के डेढ़ गुना मुआवजे की मांग और एमएस स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट को पूरी तरह से लागू करने की मांग को लेकर किसान जुटे हैं। हालांकि पिछले आंदोलन की तरह यह काफी हद तक अलग है। जहां एक तरफ किसानों की संख्या काफी कम है वहीं दूसरी तरफ किसान बेहद व्यवस्थित हैं। पिछले बार सड़कों पर जमे किसान इस बार सामुदायिक भवन में ठहरे हुए हैं।
क्या है स्वामीनाथन आयोग ?
प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन को देश में हरित क्रांति का जनक माना जाता है। स्वामीनाथन जेनेटिक वैज्ञानिक हैं। तमिलनाडु के रहने वाले स्वामीनाथन ने 1966 में मेक्सिको के बीजों को पंजाब की घरेलू किस्मों के साथ मिश्रित करके उच्च उत्पादकता वाले गेहूं के संकर बीज विकसित किए। यूपीए सरकार ने किसानों की स्थिति का जायजा लेने के लिए एक आयोग का गठन किया, जिसे स्वामीनाथन आयोग कहा गया। स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को आज तक लागू नहीं किया जा सका। कहा जाता है कि अगर इस रिपोर्ट को लागू कर दिया जाए तो किसानों की तकदीर बदल जाएगी।
सिफारिशों की मुख्य बातें
– फसल उत्पादन मूल्य से 50 प्रतिशत ज्यादा दाम किसानों को मिले।
– किसानों को अच्छी क्वालिटी के बीज कम दामों में मिले।
– गांवों में किसानों की सहायता के लिए ज्ञान चौपाल बनाया जाए।
– किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड जारी किया जाए।
– किसानों के लिए कृषि जोखिम फंड बनाया जाए।
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