कोविड-19 महामारी के मद्देनजर उच्चतम न्यायालय ने इस साल पुरी में 23 जून से आयोजित होने वाली ऐतिहासिक जगन्नाथ रथ यात्रा और इससे संबंधित सभी क्रियाकलापों की मनाही (Jagannath Rath Yatra 2020 Postponed) कर दी है. न्यायालय ने कहा, ‘अगर हम इसकी अनुमति देते हैं तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे.’ प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई करते हुए आदेश दिए और कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और नागरिकों की सुरक्षा के हितों को ध्यान में रखते हुए इस साल पुरी में रथ यात्रा की अनुमति नहीं दी जा सकती.
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प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘अगर हम इस साल रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2020 Postponed) आयोजित होने देते हैं तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे.’ पीठ ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान इतना बड़ा समागम आयोजित नहीं हो सकता. पीठ ने ओडिशा सरकार से कहा कि वह महामारी के प्रसार से बचने के लिये राज्य में कहीं भी रथ यात्रा या धार्मिक जुलूस और इससे संबंधित गतिविधियों की अनुमति नहीं दे.
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बता दे की इस मामले में जनहित याचिका दायर की गई थी. इस याचिका के पक्ष में गैर सरकारी संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि अगर रथ यात्रा की अनुमति दी गई तो बड़ी संख्या में लोग एकत्र होंगे, जिस वजह से उनके कोरोना वायरस से संक्रमित होने का बहुत ज्यादा खतरा बना रहेगा. इससे पहले निचली अदालत ने राज्य सरकार से कहा था कि वह कोविड-19 के दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए रथ यात्रा महोत्सव आयोजित करने के बारे में निर्णय ले.
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