भारत-चीन विवाद पर सर्वदलीय बैठक के बाद पीएम मोदी ने कहा था, “पूर्वी लद्दाख में जो हुआ… न वहां कोई हमारी सीमा में घुस आया है और न ही कोई घुसा हुआ है, न ही हमारी कोई पोस्ट किसी दूसरे के कब्जे में है.’’ अब इस पर देश आग बबूला है और विपक्ष हमलावर . लेकिन अब पीएम मोदी के बयान पर चीनी मीडिया ने उनकी खु खिल्ली उड़ाई जिससे देश को शर्मिंदगी झेलनी पड़ रही हैचीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स ने रविवार को लिखा कि पीएम ने जवानों को पूरी आजादी दे दी, लेकिन साथ ही ‘संघर्ष को कम दिखाने’ की भी कोशिश की.
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वहीं, अखबार ने ये भी लिखा कि भारत चीन के साथ आगे संघर्ष जारी नहीं रख सकता है. “चीनी ऑब्जर्वर्स ने कहा कि मोदी राष्ट्रवादियों और कट्टरपंथियों को कड़े रुख के साथ जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वो समझते हैं कि उनका देश चीन के साथ आगे और संघर्ष नहीं कर सकता है, इसलिए वो तनाव को शांत करने का प्रयास कर रहे है.”
शंघाई में Fudan यूनिवर्सिटी के सेंटर ऑफ साउथ एशियन स्टडीज में प्रोफेसर Lin Minwang ने अखबार से कहा, “जब भारत का पाकिस्तान या दूसरे पड़ोसी देशों के साथ टकराव होता है, तो फैसले लेने के लिए नई दिल्ली पर राष्ट्रवाद हावी हो सकता है, लेकिन जब चीन की बात आती है, तो ये एक अलग कहानी है.” Minwang ने कहा कि मोदी का बयान तनाव कम करने में मददगार साबित हो सकता है, क्योंकि भारत के पीएम के तौर पर, उन्होंने चीन पर आरोप लगाने के लिए कट्टरपंथियों के नैतिक आधार को हटा दिया है.
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एक सेना विशेषज्ञ Wei Dongxu ने कहा कि सैनिकों को जरूरी कदम उठाने वाला पीएम का बयान “भारतीयों को खुश करने और भारतीय सैनिकों के मनोबल को बढ़ाने के लिए घरेलू दर्शकों के सामने ताकत का प्रदर्शन” था. केंद्रीय मंत्री जनरल वी.के. सिंह के “चीन ने कम से कम 40 सैनिकों के शहीद होने” की खबर पर अखबार ने लिखा, “अटकलों के जरिए वो राष्ट्रवादी लोगों को तसल्ली देना और कट्टरपंथियों को संतुष्ट करना चाहते थे.” वहीं, चाइना डेली अखबार में शनिवार को चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के एनालिस्ट Lan Jianxue ने “राइट-विंग भारतीय जनता पार्टी पर आक्रामक घरेलू और विदेशी नीतियों के जरिए एक के बाद एक अपने हिंदुत्ववादी एजेंडा को आगे बढ़ाने” का आरोप लगाया.
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