भोपाल गैस कांड को आज 34 साल हो चुके हैं| वर्ष 1984 में मध्यप्रदेश की राजधानी में जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के कारण तबाही मच गई थी, जिसके घाव आज तक नहीं भर पाए हैं| आज भी लोग उस हादसे के बारे में सोच कर सकते में चले जाते हैं| उस दर्दनाक हादसे में कई लोगों की जान चली गई थी| उस हादसे में एक ऐसी बिल्ली भी थी, जिसके कारण तीन लोगों की जान बच गई थी|
रिटायर्ड प्रोफ़ेसर फहमीदा सईद ने एक बिल्ली की कहानी बताई कि कैसे बिल्ली के कारण तीन जानें बच गई थीं| ऐसा कहते हैं कि किसी भी अनहोनी का जानवरों को पहले ही आभास हो जाता है| ऐसे ही जब यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीली गैस का रिसाव शुरू हुआ तो एक बिल्ली को पहले ही इसका आभास हो गया था| फैक्ट्री से 6 किमी दूर अमीरगंज के एक परिवार की पालतू बिल्ली के कारण उनकी जान बच गई थी|
प्रोफ़ेसर फहमीदा सईद ने बताया, “उस रात मैं, मेरी बेटी फैजा और हमारी पांच महीने की बिल्ली अपने कंबल में सो रहे थे| उस रात ठंड बहुत ज्यादा थी इसलिए घर के सारे खिड़की-दरवाजे हमने बंद कर रखे थे| बस एक खिड़की ताजी हवा के लिए खुली हुई थी| यदि उस रात सारी खिड़कियां खुली होतीं, तो हमें कोई बचा नहीं पाता|”
बिल्ली को हुआ अनहोनी का आभास
जब बिल्ली को अनहोनी की आहट हुई तो वह अजीब तरह से चिल्लाने और रोने लगी, मैं गहरी नींद से जाग गई| धीमी लाइट में मैंने देखा कि वह बेड पर कूद रही थी| उसके मुंह से झाग जैसा आ रहा था| तभी मुझे और मेरी बेटी फैजा को अचानक खांसी आने लगी| पॉली ने हम दोनों को जगा दिया था और जाकर कंबल के नीचे छिप गई| यह संकेत था कि हमें भी यही करना चाहिए| मेरी बेटी तो कंबल के नीचे छिप गई, लेकिन मैं बेवकूफों की तरह ड्राइंग रूम में गई और दरवाजा खोलकर बाहर देखा| बाहर सब लोग चिल्ला रहे थे, खांस रहे थे, जिनके पास कार थी, वे कार स्टार्ट कर इधर-उधर भाग रहे थे| मुझे सांस नहीं आ रही थी और लग रहा था कि मैं मर जाऊंगी| जैसे ही मैं बेहोश होने वाली थी कि मैंने बेडरूम के दरवाजे पर किसी के मारने की आवाज सुनी| मैंने गेट खोला तो वहां बिल्ली थी| अचानक मेरे मुंह पर ताज़ी हवा आई और मुझे होश आ गया| उस रात मैं, मेरी बेटी और मेरी बहन केवल एक बिल्ली के कारण बच गए थे|
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