देश में सबसे सस्ता 4 जी नेटवर्क उपलब्ध कराने वाली रिलायंस जिओ कंपनी पर अब एक बार फिर आरोप लगे हैं। इस बार आरोप सरकार के ही उपक्रम बीएसएनएल के कर्मचारियों ने लगाए हैं। कर्मचारियों के मुताबिक, सरकार रिलायंस जिओ को संरक्षण दे रही है, वहीं बीएसएनएल के साथ सरकार का रवैया भेदभावपूर्ण है।
कर्मचारी यूनियन का दावा है कि केंद्र सरकार ने बीएसएनएल को 4जी सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम का आवंटन इसलिए नहीं किया है ताकि वह जिओ के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर सके। अलग-अलग यूनियनों ने यह आरोप लगाए हैं कि केंद्र की मोदी सरकार अन्य कंपनियों की तुलना में रिलायंस जिओ को संरक्षण दे रही है। यूनियनों ने इसके विरोध में 3 दिसंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की घोषणा की है।
बीएसएनएल की यूनियनों ने संयुक्त बयान में कहा कि फिलहाल सूचना दूरसंचार क्षेत्र संकट में है। इसकी प्रमुख वजह यह है कि मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली कंपनी ने बाजार बिगाड़ने वाली दरें रखी हैं। इससे बाज़ार में दूसरी कंपनियों के पास विकल्प ही नहीं बच पा रहे हैं।
एयूएबी ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी सरकार से 4जी स्पेक्ट्रम की मांग करती आ रही है, लेकिन सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है। यह सरकार की सोची-समझी रणनीति है ताकि सरकारी कंपनी को रिलायंस जिओ के साथ प्रतिस्पर्धा से रोका जा सके यानी अब बीएसएनएल ने सरकार को इस मसले पर सीधे कटघरे में खड़ा किया है। वहीं सरकार की ओर से इस विवाद पर कोई भी प्रतिक्रिया नहीं आई है।
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