सिख दंगे मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने कांग्रेस के नेता सज्जन कुमार को उम्रकैद की सज़ा सुनाई है। सज्जन कुमार को न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने साल 1984 में हुए सिख दंगे का आपराधिक षड्यंत्र रचने, शत्रुता को बढ़ावा देने, सांप्रदायिक सद्भावना के खिलाफ कृत्य करने का दोषी करार देते हुए सोमवार 17 दिसंबर को उम्रकैद की सज़ा सुनाई।
सज्जन को सज़ा सुनाए जाने के कारण मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ का शपथग्रहण समारोह फीका पड़ गया। वहीं पंजाब से आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान ने कमलनाथ को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री न बनाए जाने की मांग की। मान का कहना है कि कमलनाथ भी सिख दंगे के आरोपी हैं और ऐसे में किसी आरोपी को मुख्यमंत्री नहीं बनाया जा सकता। भगवंत मान ने कहा कि कमलनाथ को पंजाब कांग्रेस का इंचार्ज बनाए जाने पर लोगों ने विरोध किया था, जिसके बाद कांग्रेस ने उन्हें हटा दिया था। अब ऐसा क्यों नहीं किया गया? कांग्रेस कमलनाथ को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाकर सिखों के जख्मों पर नमक छिड़क रही है। लोगों ने उन्हें (कमलनाथ को) देखा था दंगा भड़काते हुए| क्यों उनके खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है?
#AAP MP, Bhangwant Mann: Kamal Nath was called back after people opposed his appointment as the Punjab Congress in-charge, why isn't he being called back now? Congress is rubbing salt on our wounds. People saw him inciting the mob, why no FIR has been filed against him? pic.twitter.com/3hheaSIUzr
— ANI (@ANI) December 17, 2018
भगवंत मान के अलावा ‘आप’ के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि देश में दो बड़े सांप्रदायिक नरसंहार हुए, जिनमें बड़े-बड़े राजनीतिक लोग शामिल थे। आखिरकार अब कुछ बड़े लोगों को सज़ा मिलनी शुरू हुई है। सौरभ ने कांग्रेस और भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि दोनों दलों ने एक-दूसरे को बचाया है। आगे सौरभ ने कहा कि 1984 नरसंहार दिल्ली पर स्थायी कलंक है। सज्जन कुमार पर दिल्ली हाईकोर्ट ने देर से ही सही, लेकिन ऐतिहासिक फैसला सुनाया है।
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