कांग्रेस के लिए यह समय ख़ुशी का है| तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद आज सीएम पद के प्रत्याशी शपथ लेने वाले हैं, जिनमें से राजस्थान में अशोक गहलोत ने शपथ ले ली है और मध्यप्रदेश में कमलनाथ के शपथ ग्रहण की तैयारी की जा रही है| जहां एक ओर आज कांग्रेस के लिए ख़ुशी भरा दिन है वहीं कई कांग्रेसी नेताओं के लिए आज संकटभरा दिन भी है| दरअसल, 1984 के सिख दंगों के मामले में सज्जनकुमार को सज़ा मिलने के बाद अब कमलनाथ सवालों के घेरे में आ गए हैं|
1984 के सिख दंगों के सवालों में फंसे कमलनाथ
मध्यप्रदेश की कमान संभालने वाले कमलनाथ पर 1984 के सिख दंगों के आरोप के काले साये फिर मंडराने लगे हैं| दरअसल, उन्हें इस मामले में पहले राहत दे दी गई थी, लेकिन अब भाजपा की ओर से उन पर निशाना साधा जा रहा है| कमलनाथ पर आरोप है कि दंगों के दौरान उन्होंने न केवल भीड़ का संचालन किया बल्कि गुरुद्वारे रकाबगंज की घेराबंदी के दौरान वे वहां दो घंटे तक मौजूद रहे|
इस मामले पर वित्तमंत्री अरुण जेटली का कहना है, “दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला स्वागतयोग्य है| हम में से कई जो इसके गवाह हैं, यह शायद सबसे वीभत्स नरसंहार था, जिसे हमने देखा था| कांग्रेस की सरकार उस दौरान लगातार इसे छिपाने की कोशिश कर रही थी| इसे रफा-दफा करने की कांग्रेस की साजिश असफल हो गई है| सज्जन कुमार 1984 के सिख दंगों का प्रतीक रहा है| सिख दंगों की विरासत कांग्रेस और गांधी परिवार की गर्दन के चारों ओर लटकी है|”
FM Arun Jaitley on Sajjan Kumar: Judgement of Delhi High Court is an extremely welcome development. For many of us who are witnesses, it was perhaps the worst kind of genocide that we ever saw. Congress govts in that period repeatedly indulged in coverup exercises. pic.twitter.com/FBlrEFtwzI
— ANI (@ANI) December 17, 2018
इस मामले में कमलनाथ ने अपने आप को निर्दोष बताया था| उन्होंने कहा था कि वे पार्टी के कहने पर भीड़ को हमला करने से रोकने के लिए गए थे| गौरतलब है कि मध्यप्रदेश की कमान कमलनाथ के हाथों में दिए जाने के ऐलान के बाद से ही शिरोमणि अकाली दल, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति और आम आदमी पार्टी के विधायक सुखपाल खैरा ने इसका काफी विरोध किया था|
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