क्रिसमस का त्यौहार ईसाई धर्म का प्रमुख त्यौहार होता है क्योंकि इस दिन प्रभु यीशु का जन्म हुआ था। ईसा मसीह के जन्मदिवस को क्रिसमस के रूप में मनाया जाता है। क्रिसमस की धूम हर जगह देखने को मिलती है। रोशनी से सराबोर बाज़ार, रंगीन लाइटों से सजे घर और जगमगाते हुए चर्च सभी को लुभाते हैं। इस त्यौहार पर सभी लोग अपने घर, ऑफिस और दुकानों को क्रिसमस ट्री से सजाते हैं। क्रिसमस ट्री को इस त्यौहार पर क्यों सजाया जाता है (Facts About Christmas Tree) ? क्या आप क्रिसमस ट्री से जुड़ी बातें जानते हैं?
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आज हम बताने जा रहे हैं आपको इससे जुड़ी कुछ प्रमुख बातें (Facts About Christmas Tree)
प्रभु यीशु ने यरुशलम के एक अस्तबल में क्रिसमस ट्री के नीचे ही जन्म लिया था। जब उनका जन्म हुआ, तब स्वर्ग से आए देवदूतों ने उनका स्वागत किया और पूरे पेड़ को रोशनी से सजा दिया एवं यीशु के माता-पिता को शुभकामनाएं दीं। इसी वजह से हर साल क्रिसमस ट्री को लाइटों से सजाया जाने लगा।
पुराने समय में क्रिसमस के पेड़ को दीर्घायु का प्रतीक माना जाता था। ऐसा माना जाता था कि क्रिसमस ट्री को घर में सजाने से बच्चे दीर्घायु होते हैं इसलिए इस दिन लोग घरों में क्रिसमस ट्री को सजाने लगे।
इनके बिना अधूरा है क्रिसमस
इसी तरह एक और मान्यता है कि क्रिसमस ट्री के नीचे प्रभु यीशु का जन्म होने के कारण इस पेड़ से नकारात्मक ऊर्जा और बुरे साये हमेशा दूरी बनाकर रखते हैं। घर में क्रिसमस ट्री को सजाने से सकारात्मकता का प्रवाह बना रहता है।
सर्वप्रथम 17वीं शताब्दी में कैंडल्स से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा जर्मनी में शुरू हुई थी। इसके बाद 19वीं शताब्दी में इसे इंग्लैंड में मनाने का रिवाज शुरू हुआ। इसके बाद धीरे-धीरे वैश्विक रूप से क्रिसमस का जश्न मनाया जाने लगा। अब इसे लोग रंगबिरंगे फीतों, कैंडल्स, गुब्बारों और लाइटों से सजाते हैं।
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