जब घर के मुख्य द्वार के समक्ष कोई ऐसी रुकावट अथवा बाधा आ जाती है, जो मुख्य द्वार में प्रवेश करने वाली वायु तथा विकिरणों के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव डालती है तो उसे ‘बेध’ कहते हैं| बेध के संबंध में कहा जाता है कि सभी वस्तुओं में द्वार बेध से बचना चाहिए|
कुछ मुख्य बेध
गली सड़क या मार्ग द्वारा द्वार बेध होने पर पूरे कुल का क्षय हो जाता है|
वृक्ष के द्वारा बेध होने पर द्वेष की अधिकता होती है, वहीं कीचड़ से बेध होने पर शोक होता है|
कूप द्वारा बेध होने पर अवश्य ही गृहवासियों को सदा के लिए अपस्मार रोग हो जाता है|
नावदान या जल प्रवाह से बेध होने पर व्यथा होती है|
कील से बेध होने पर अग्निभय होता है|
देवता से बेध होने पर विनाश होता है|
एक घर से दूसरे घर में बेध पड़ने पर गृहपति का विनाश होता है तथा अपवित्र द्रव्यादी द्वारा बेध होने पर घर की स्वामिनी बन्ध्या हो जाती है|
सभी प्रकार के बेधों के संबंध में एक बात और विशेष महत्व की है –
घर की ऊंचाई से दोगुनी भूमि की दूरी पर बेध व दोष नहीं होता|
बेधों का दोष हरण करने के लिए द्वार पर देव प्रतिमाओं की स्थापना अथवा शुभ चिन्हों का अंकन का विधान है| इसके अलावा बेध दोष अन्य प्रयोगों से भी दूर किए जा सकते हैं| यह कार्य किसी भी योग्य विद्वान के निर्देशन में किया जा सकता है|
