प्रदेश में चुनाव नज़दीक हैं, ऐसे में नेताओं को गुस्सा आना लाजिमी भी है| अभी तक तो केवल अफसरों पर कार्यकर्ता भड़कते थे, लेकिन अब बड़े नेता भी अपना गुस्सा उतार रहे हैं| मामला बुरहानपुर में हुए सरकारी ‘संबल’ कार्यक्रम का है, जहां सांसद, मंत्री, विधायक और महापौर सभी को ऐसा गुस्सा आया कि सभी ने एक साथ कार्यक्रम छोड़ दिया और मंच से उतर गए और कार्यक्रम ख़त्म हो गया| अब बिजली विभाग के अधिकारी जगह- जगह अपनी सफाई दे रहे हैं, लेकिन विभागीय अफसरों ने ऐसी चूक की है कि उन्हें माफ़ी देने वाला कोई नहीं मिल रहा है|
महापौर का हुआ है अपमान
सांसद नंदकुमारसिंह ने कहा कि ‘संबल’ योजना के कार्यक्रम में शहर के प्रथम नागरिक का अपमान हुआ है और वे इस अपमान को कैसे सहन कर सकते हैं | प्रोटोकॉल के तहत महापौर को बोलने दिया जाना चाहिए था| उनका आमंत्रण-पत्र पर नाम है, फिर यह चूक नहीं होना चाहिए थी| अब मैं भी भाषण नहीं दूंगा| महापौर का कद अधिकारियों को समझना चाहिए, क्या महापौर का अपमान शोभा देता है| आखिर सवाल महापौर के सम्मान का है |
मंत्री अर्चना चिटनीस ने कहा कि कम समय था, लेकिन इसी समय को बांटकर सभी को अपनी बात कहने का मौका दिया जाना चाहिए| इसी तरह अन्य नेताओं ने भी अपनी बात कही और बिजली अधिकारियों को कठघरे में खड़ा किया|
अधिकारियों ने मांगी माफ़ी
नेताओं के गुस्से से घबराए बिजली अधिकारियों ने तुरंत माफ़ी मांगी, लेकिन इस माफ़ी का कोई ख़ास असर नहीं हुआ| अधीक्षण यंत्री अमित सक्सेना ने इस बात से भी इनकार कर दिया कि महापौर का नाम काटा गया है| हालांकि इस कार्यक्रम में जो कुछ भी हुआ इसे बुरहानपुर की गुटीय राजनीति से भी जोड़कर देखा जा रहा है |

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