मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में किसान मुद्दों पर जमकर राजनीति हो रही है। राजनीतिक दल किसानों को खुश करने के लिए नई-नई योजनाओं और कर्ज़ माफी के वादे कर रहे हैं। पिछले वर्ष मंदसौर से उठी किसान आंदोलन की आग ने महाराष्ट्र होते हुए पूरे मध्यप्रदेश को चपेट में लिया था। ये पहला ऐसा आंदोलन नहीं था, जिसने किसानों का दर्द बयां किया हो। इससे पहले भी कई बार वे अपनी मांग उठाते रहे हैं।
किसान अपनी मांगों के पूरी होने के इंतज़ार में बैठे हैं। आखिर क्या कारण है कि किसान हर वर्ष आंदोलन करते हैं, फिर भी उनकी मांग पूरी नहीं होती। किसान आंदोलन, गोलीकांड, घोषणाएं, सीएम का उपवास पर बैठना इतना सब कुछ होने के बाद भी मांगें अधूरी रह जाती हैं। ऐसे में जानना ज़रूरी है कि किसान की ऐसी क्या मांग है, जिसे पूरा करने में सरकार असफल साबित हो रही है।
ये हैं किसानों की मांग –
– कर्ज़ माफ हो।
– सभी फसलों पर लागत से डेढ़ गुना लाभकारी मूल्य दिया जाए।
– छोटे किसानों की आय सुनिश्चित की जाए।
– 55 साल के ऊपर की आयु वाले किसानों को पेंशन।
– मंडी शुल्क वापस लिया जाए।
– बिजली के बढ़े हुए बिल वापस लिए जाएं।
– जिन किसानों पर मुकदमा दर्ज हुआ है, उन्हें वापस लिया जाए।
इन मांगों को देखा जाए तो किसान ऐसा कुछ भी नहीं मांगते, जिसे पूरा करना राजनीति के शहंशाह पूरा न कर सके। देश की राजनीति का केंद्र किसान को माना जाता है। हमारी देश की अर्थव्यवस्था भी कृषि आधारित है। इन सबके बावजूद दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि उद्योगपति अपने बनाए उत्पादों की कीमत अपने मुनाफे के हिसाब से तय कर सकते हैं, लेकिन अन्नदाता अपनी उपजाई फसल की कीमत अपने हिसाब से तय नहीं कर सकता।
