मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में अब कई नए नेता अपने रिश्तेदारों को भी राजनीति में उतारने की तैयारी में हैं| ऐसे नेताओं को रोकने के लिए भाजपा संगठन ने टिकट की नई पॉलिसी तय की है| इसके तहत यदि किसी नेता को अपने बेटे या रिश्तेदार के लिए टिकट चाहिए तो उसे अपनी सीट की कुर्बानी देनी होगी|
चुनाव नज़दीक आते ही दिग्गज नेताओं के पुत्र भी चुनाव मैदान में सक्रिय हो गए हैं, लेकिन भाजपा हाईकमान दिग्गज नेताओं की इन हरकतों से नाराज़ है। भाजपा संगठन की कोशिश है कि इस चुनाव में पार्टी पर वंशवाद का ठप्पा न लगे| इसके चलते भी पार्टी ने अपनी नयी नीति तय की है|
तो क्या करेगी भाजपा?
केंद्रीय नेतृत्व ने चुनाव को लेकर यह तय किया है कि यदि किसी नेता का बेटा या बेटी पार्टी में सक्रिय है और जीतने लायक चेहरा है तो उनके पिता को अपनी सीट खाली करनी होगी। इस बार 2018 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के 17 नेताओं के पुत्र-पुत्री या अन्य परिजन टिकट की दावेदारी पेश कर रहे हैं।
कार्तिकेय भी सक्रिय
इस बार मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय भी खासे सक्रिय दिख रहे हैं। हाल ही में वे मोर्चा की बाइक रैली के दौरान पहले सीहोर, पन्ना और फिर सतना गए। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर भी जमकर निशाना साधा था। हालांकि कार्तिकेय पहले ही साफ़ कर चुके हैं कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे।
भाजपा के दावेदार नेता पुत्र –
प्रभात झा के बेटे तुष्मुल झा
नरेंद्रसिंह तोमर के बेटे रामू तोमर
कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय
गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव
जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया
मालिनी महाजन के बेटे मंदार महाजन
गौरीशंकर बिसेन की बेटी मौसम
मायासिंह के बेटे पीतांबर सिंह
गौरीशंकर शेजवार के बेटे मुदित शेजवार
नरोत्तम मिश्रा के बेटे सुकर्ण मिश्रा
कमल पटेल के बेटे सुदीप पटेल
नंदकुमारसिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन

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Sahi hai dusro ko moka milna chaye jamni estar par bhot se karykarta hai