राजनीति में हमेशा वंशवाद का आरोप लगता रहता है, लेकिन यह सच्चाई है कि एक बार जो नेता बन गया, राजनीति में उसका वंशवाद चलने लगता है। कई नेता-मंत्रियों के बच्चे और रिश्तेदार इस आस में बैठे हैं, कब टिकट मिले। वहीं कई नेता पुत्रों-पुत्रियों की यह ख्वाहिश भी पूरी हुई।
कांग्रेस हो या भाजपा, दोनों ही दल वंशवाद की बात को नकारते हैं, लेकिन वंशवाद का हर तरफ प्रभाव है| इस बार भी कई मंत्रियों, सांसद, विधायकों के पुत्र टिकट मांगने की कतार में लग गए हैं।
भाजपा के दस से ज्यादा मंत्री ऐसे हैं, जिनके पुत्र राजनीति में पूरी तरह सक्रिय हैं। कांग्रेस में भी यही हाल हैं। पिछले चुनावों में दोनों ही दलों के नेता पुत्र भाग्य आजमा चुके हैं।
भाजपा से पुत्र टिकट की कतार में
– जनजाति मंत्री नंदनलाल मीणा के पुत्र हेमंत मीणा जिला स्तर के संगठन मंत्री भी हैं और जिला परिषद में सदस्य भी हैं।
– राजस्व मंत्री अमराराव के पुत्र अरुण भी बाड़मेर में लगातार सक्रिय हैं।
– केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के पुत्र रविशेखर, खाजूवाला विधानसभा सीट से टिकट की मांग कर रहे हैं।
– वन एवं पर्यावरण मंत्री गजेंद्र सिंह खिंवसर के पुत्र धनंजय सिंह नागौर से सक्रिय हैं। वे पिछली बार सांसद के टिकट की मांग कर चुके हैं।
– पूर्व उपराष्ट्रपति के दामाद विधायक नरपतसिंह राजवी के पुत्र अभिमन्यु सिंह राजवी भी राजनीति में पूरी तरह सक्रिय हैं और टिकट की दौड़ में शामिल हैं।
– जल संसाधन मंत्री रामप्रताप के पुत्र अमित हनुमानगढ़ से टिकट के लिए दावा ठोक रहे हैं।
कांग्रेस भी पीछे नहीं
– पूर्व सीएम अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत भी राजनीति में सक्रिय होने लगे हैं। उनका नाम कभी सांसद तो कभी विधायक की दौड़ में शामिल है।
– पूर्व विधानसभा अध्यक्ष दीपेंद्रसिंह शेखावत के पुत्र बालेंदु सिंह शेखावत इस समय कांग्रेस में प्रदेश स्तर के पदाधिकारी हैं और वे भी श्रीमाधोपुर सीट की दौड़ में आगे हैं।
– राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष ममता शर्मा के पुत्र समृद्ध शर्मा भी बूंदी से टिकट मांग रहे हैं।
– कांग्रेस के दलित चेहरे परसराम मोदरिया के पुत्र राकेश मोदरिया भी राजनीति में सक्रिय हैं और वे धोद विधानसभा से दांव ठोक रहे हैं।
