महाराष्ट्र में सत्ता का खेल बड़ा गजब ढा रहा हैं
शिवसेना को फूट-फूटकर रुला रहा हैं |
बेटे को बनाने राजा,उद्धव अपनों से दुश्मनी करते जा रहे हैं
सुशासन के नाम पर कुशासन फैलाते जा रहे है |
सत्ता की भूख इस कदर बढ़ गई
की शिवसेना कटोरा लेकर दुश्मन के दरवाज़े चली गई |
जो सेना, सोनिया को देख गुर्राती थी वो पंजे को चाटने लगी
हाथ जोड़कर पवार से कुर्सी का पावर मांगने लगी |
मातोश्री से निकल कर राजभवन के चक्कर लगा रहे हैं
मोदी को झूठा और कांग्रेस को भगवान बता रहे हैं |
फिर लगा राष्ट्रपति शासन फिर चुनाव का घंटा बजाया जायेगा
मतदान के नाम पर फिर जनता का पैसा सरकार के हाथो बहाया जायेगा |
कुर्सी की लालच में कभी व्यापारी,कभी भिखारी, अरे तुम कितना गिर गए
आदित्य के मोह में देखो उद्धव कलयुग के धृतराष्ट्र बन गए |
एकता का भाषण देने वालो जरा तुम भी एकता दिखाओ
महाराष्ट्र को राष्ट्र ही रहने दो, रण मत बनाओ ||
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Vishvambhar Nath Tiwari ( Creative Editor)
