भारत में मुद्दों की कभी कमी नही है, न ही संकट की. नेपाल ,चीन ,महंगाई, भुखमरी, बेरोजगारी और इन सब से बड़ी सियासत और कोरोना जैसे तमाम संकटों के बीच इन दिनों देश भर में शराब बंदी को लेकर भी चर्चाये हो रही है . राज्य सरकारे इस पर विचार कर रही है. बिहार जैसे राज्य में एक हद तक सफल पूर्ण शराबबंदी ने मामले को और हवा दी है. इसी क्रम में मप्र मेंसाल की शुरुआत में हुई मंत्रिपरिषद् की बैठक में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में 2018-19 की आबकारी नीति को नए सिरे से बनाया गया था. नई नीति के अनुसार एक अप्रैल 2018 से प्रदेश में कन्या विद्यालयों, कन्या महाविद्यालयों, कन्या छात्रावासों और धार्मिक स्थलों से 50 मीटर दूरी तक अवस्थित मदिरा दुकानों को बंद करने के साथ साथ देशी और विदेशी मदिरा दुकानों में संचालित 149 अहाते और शॉप-बार हमेशा के लिए बंद किये जाने की बात कही गई थी.
मगर अब शराबबंदी को लेकर विचार विमर्श जारी है और सरकार जल्द ही कोई बड़ा फैसला ले सकती है . देश के साथ साथ राज्यों में आबकारी विभाग मादक पदार्थों के निर्माण तथा उसके व्यापार, लायसेंस, फीस, राजस्व और अन्य करों को वसूलने और इन पर नियंत्रण का काम करता है. मादक. पदार्थों के अवैध निर्माण एवं व्यापार से संबंधित अपराध नियंत्रण करने वाले इस विभाग का दामन में भी कई दाग है. 2017 में हुए सुर्खियों में रहे 41 करोड़ के चालान घोटालों के कारण मप्र आबकारी विभाग पहले ही निशाने पर आ चूका है. जिसकी जांच के दौरान विभाग के अधिकारी के साथ साथ जांच कर रही पुलिस खुद भी निशाने पर आ गई थी. मामले में कुल आठ ठेको के लायसेंस रद्द किये गए थे. कई आबकारी अधिकारी के नाम अवैध कमाई करने वालों की फेहरिस्त में शामिल रहा है, जिसमे बड़वाह में विभाग के कांस्टेबल रामचंद्र जायसवाल का करोड़पति होना कई दिनों तक अखबारों के पहले पन्नों पर रहा है.
जहा देश एक साल में 2 लाख करोड़ रुपए की शराब गटक रहा है, वही इंदौर शहर का गला गिला करने में हर रोज 29 हजार लीटर शराब लग रही है. देश की 20 प्रमुख शराब उत्पादक कम्पनियाँ 12 फीसदी प्रतिवर्ष की रफ़्तार के साथ फ़िलहाल 2 .06 लाख करोड़ का कारोबार कर रही है. एक अनुमान के तहत यह आंकड़ा साल 2019 में 26 अरब डालर सिर्फ अंग्रेजी शराब के कारोबार में होगा साथ ही बियर कारोबार भी 11 .90 अरब डालर तक पहुंचने का अनुमान है. देश की कुल 55 हजार शराब दूकानो में से 165 से ज्यादा इंदौर जिले में है. जिन्हे इस साल 600 करोड़ रुपए के लगभग की मोटी रकम जो पिछले साल से 15 % ज्यादा है में लायसेंस दिया गया है, ये दुकाने सालाना 780 करोड़ का राजस्व भी सरकार को देने वाली है. ऐसे में शराब बंदी किये जाने के पहले मप्र सरकार अपना फायदा और नुकसान तराजू के पलड़ो में रख कर जरूर देखेगी.
